भारतीय नौसेना ने 13 सितंबर 2024 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में स्थित आईएनएस सातवाहन में अपने प्रमुख पनडुब्बी प्रशिक्षण अड्डे पर स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित, कलवरी पनडुब्बी पलायन प्रशिक्षण सुविधा शुरू की है। आईएनएस सातवाहन भारतीय नौसेना की पूर्वी नौसेना कमान के अधीन है।
कलवरी पनडुब्बी पलायन प्रशिक्षण सुविधा का नाम विनेत्रा है जिसका अर्थ प्रशिक्षक है, का निर्माण एल एंड टी डिफेंस कंपनी द्वारा किया गया है।
कलवरी पनडुब्बी पलायन प्रशिक्षण सुविधा, भारतीय नौसेना द्वारा संचालित पारंपरिक पनडुब्बियों के कलवरी श्रेणी के पनडुब्बी चालक दल को प्रशिक्षित करेगी।
यह पनडुब्बी चालक दल को किसी दुर्घटना या हमले के कारण संकट में होने पर अपनी जान बचाने के लिए पनडुब्बी से बाहर निकालने में प्रशिक्षित करेगा।
यह सुविधा निकटवर्ती डाइविंग बेसिन के साथ एकीकृत पांच मीटर के पलायन टावर से सुसज्जित है।
भारत को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी और सुविधाओं में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के मेक इन इंडिया सुविधा और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विनेत्रा सुविधा विकसित की गई है।
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी का निर्माण भारत में भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 के तहत किया जा रहा है जिसके तहत छह सबमरीन का निर्माण किया जाना था।
2005 में भारत और फ्रांस ने फ्रांस से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत भारत में छह पारंपरिक स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 3.75 बिलियन डॉलर का सौदा किया था।
फ्रांसीसी कंपनी नेवल ग्रुप को इस सौदे के तहत प्रौद्योगिकी प्रदान करनी थी जबकि मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) को इसका निर्माण करना था।
2000 टन की आईएनएस कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी सभी प्रकार के मिशन जैसे सतही पोत युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, लंबी दूरी के हमले, विशेष अभियान या खुफिया जानकारी एकत्र करने में सक्षम है।
प्रोजेक्ट 75 के तहत बनने वाली पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी थी, जिसे 2017 में लॉन्च किया गया था। तब से चार और पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। छठी पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर का समुद्री परीक्षण चल रहा है।
कलवरी श्रेणी की छह पनडुब्बियां हैं - आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज, आईएनएस वेला, आईएनएस वागीर और आईएनएस वाघशीर।
वर्तमान में, भारतीय नौसेना 16 पारंपरिक पनडुब्बियों और दो परमाणु संचालित पनडुब्बियों - आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट का संचालन का रही है।
पारंपरिक पनडुब्बियां सात रूसी सिंधुघोष-श्रेणी, पांच इंडो-फ़्रेंच कलवरी-श्रेणी और चार जर्मन शिशुमार-श्रेणी पनडुब्बियां हैं।
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