भारतीय नौसेना ने 29 अगस्त 2024 को अपनी दूसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन), आईएनएस अरीघात को औपचारिक रूप से शामिल किया । केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में स्थित पूर्वी नौसेना कमान की अपनी यात्रा के दौरान एक सादे समारोह में पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किया। .
नियोजित पांच अरिहंत श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बियों में दूसरे पोत को शामिल करने से भारत की न्यूक्लियर ट्रायड (परमाणु त्रय) क्षमता और दूसरी स्ट्राइक क्षमता को मजबूत होने की उम्मीद है।
न्यूक्लियर ट्रायड क्षमता से तात्पर्य किसी देश की हवा, समुद्र और जमीन से परमाणु हथियार से हमला करने की क्षमता से है।
दूसरी स्ट्राइक क्षमता से तात्पर्य दुश्मन के परमाणु हथियार से हमला होने के बाद किसी देश की दुश्मन पर परमाणु हथियार से हमला करने की क्षमता से है। इसमे सबसे महत्वपूर्ण नौ सेना की परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी होती है।
भारत ने 1970 के दशक में स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी बनाने के लिए प्रोजेक्ट एवीटी (एडवांस्ड वेसल टेक्नोलॉजी) शुरू किया था।
एवीटी कार्यक्रम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) और भारतीय नौसेना की एक संयुक्त परियोजना है।
एवीटी परियोजना के तहत पहली परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत थी, जिसे अगस्त 2016 में भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया था।
सरकार ने शुरुआत में प्रोजेक्ट एवीटी के तहत चार परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को मंजूरी दी थी, लेकिन चीन के खतरे को देखते हुए इस बाद में बढ़ाकर पांच कर दिया गया।
एवीटी परियोजनाओं के तहत बनाई जा रही पनडुब्बियों को अब आईएनएस अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियां कहा जाता है।
आईएनएस अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी, आईएनएस अरीघात, नवंबर 2017 में शुरू की गई थी और अगस्त 2024 में नौ सेना में शामिल कर लिया गया।
भारतीय नौसेना ने नियोजित पांच पनडुब्बियों में से एस-3 और एस-4 पनडुब्बियों का निर्माण शुरू कर दिया है।
खबरों के मुताबिक, भारत, तीन चरणों में छह परमाणु हमलावर पनडुब्बियां बनाने की भी योजना बना रहा है।
आईएनएस अरिहंत की तरह, आईएनएस अरीघात बेहतर स्टील्थ (शोर कम) क्षमता के साथ 83 मेगावाट दबाव वाले हल्के पानी के परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित है।
पनडुब्बी जितना कम शोर पैदा करती है, दुश्मन के लिए उसका पता लगाना उतना ही कठिन होता है।
112 मीटर लंबा आईएनएस अरिघाट सतह पर 12-15 समुद्री मील प्रति घंटा और पानी के अंदर 24 समुद्री मील प्रति घंटा तक की अधिकतम गति प्राप्त कर सकता है।
इसमें चार मिसाइल लॉन्च ट्यूब हैं जो बारह K-15 या चार 4 K-4 पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम ) तक ले जा सकती हैं।
K-15 सागरिका मिसाइलों की मारक क्षमता 750 किलोमीटर है और इन्हें आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरीघात में शामिल किया गया है ।
डीआरडीओ द्वारा विकसित K-4 एसएलबीएम परमाणु हथियार सक्षम मिसाइल हैं और इसकी मारक क्षमता 3,500 किमी है।
आईएनएस अरिहंत में चार K-15 मिसाइल या एक K-4 मिसाइल ले जाने की क्षमता है।
एवीटी परियोजना के शुभारंभ के बाद, भारत सरकार ने भारतीय नौसेना कर्मियों को परमाणु पनडुब्बियों के संचालन से परिचित कराने के लिए सोवियत परमाणु-संचालित पनडुब्बी पट्टे पर ली।
पहली परमाणु-संचालित सोवियत पनडुब्बी, आईएनएस चक्र, 1988 में भारत पहुंची और 1991 में सोवियत संघ को वापस कर दी गई।
भारत ने फिर से रूस के साथ लगभग 2 बिलियन डॉलर में अकुला श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पट्टे पर लेने के लिए 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस पनडुब्बी को अप्रैल 2012 में भारत में कमीशन किया गया था और इसका नाम आईएनएस चक्र II रखा गया था।
मार्च 2019 में, भारत ने रूस के साथ एक और उन्नत अकुला श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी को 10 वर्षों के लिए 3 बिलियन डॉलर में पट्टे पर देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है। यह उन्नत पनडुब्बी 2025 तक भारत आने की उम्मीद है।
भारत दो आधुनिक पनडुब्बी अड्डे बना रहा है। एक कर्नाटक के कारवार में स्थित प्रोजेक्ट सी बर्ड है ।
दूसरा आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में आईएनएस वर्षा है, जिसमें पनडुब्बियों के लिए भूमिगत डॉकिंग सुविधाएं होंगी।