लोकसभा ने 27 जुलाई 2023 को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया, जिसमें आधा दर्जन से अधिक औपनिवेशिक युग के कानूनों सहित 42 केंद्रीय कानूनों में 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार यह विधेयक देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेश को बढ़ावा देगा।
जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2022, 22 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक को श्री पी.पी. चौधरीकी अध्यक्षता वाली एक संयुक्त संसदीय समिति ने 17 मार्च 2023 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक में बॉयलर अधिनियम, आधार अधिनियम, 2016, कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009, सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006, भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991, और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 सहित अन्य शामिल हैं।
यह कई अपराधों के लिए सज़ा के रूप में कारावास को भी हटा देता है। डाकघर अधिनियम, 1898 के तहत सभी अपराध हटाए जा रहे हैं।
हर तीन साल में जुर्माना और जुर्माना न्यूनतम राशि का 10% बढ़ाया जाएगा।
विधेयक दंड तय करने के लिए न्यायनिर्णयन अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान करने के लिए कुछ अधिनियमों में संशोधन करता है। यह अपीलीय तंत्र को भी निर्दिष्ट करता है।
एक विधेयक एक विधायी प्रस्ताव का मसौदा है जिसे विभिन्न चरणों से गुजरना होता है जैसे पहला वाचन, राजपत्र में प्रकाशन, विधेयक को स्थायी समिति को संदर्भित करना, दूसरा वाचन, तीसरा वाचन।
लोकसभा या राज्यसभा में से एक सदन से पारित होने के बाद विधेयक फिर से दूसरे सदन में सभी चरणों से पारित होता है और राष्ट्रपति के समक्ष सहमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही यह बिल कानून बनता है। यह अधिनियम राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित होने की तिथि से प्रभावी है।
विधेयक के प्रकार: वित्त विधेयक, धन विधेयक, साधारण विधेयक, संवैधानिक संशोधन विधेयक।