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Updated: 10 Aug 2023
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सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने 9 अगस्त 2023 को राज्यसभा में जानकारी दी कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा का अंत करने हेतु बड़े पैमाने पर रोबोट ‘बैंडिकूट’ तकनीक सहायक है।
बैंडिकूट की सहायता से मैनहोल के तल पर जमा तलछट को हटाया जा सकता है, जिससे सीवर में मालवा के भरने के कारण ओवरफ्लो से छुटकारा मिल सकती है।
बैंडिकूट की बढ़ते उपयोगिता के कारण स्थानीय निकायों को उपयुक्त मैनहोल डी-ग्रिटिंग मशीनें खरीदने की सलाह दी गई है, जिन्हें मैनहोल में प्रवेश किए बिना संचालित किया जा सकता है तथा समय-समय पर सफाई की उचित व्यवस्था भी की जा सकती है।
समय पर की जाने वाली डी-ग्रिटिंग के साथ-साथ मैनहोल की आपातकालीन सफाई की आवश्यकता को स्थानीय रूप से तैयार सरल मशीनों के उपयोग द्वारा भी पूर्ण किया जा सकता है। ये मशीनें बेहतर न सही परंतु सफाई कर्मचारियों के लिए सुरक्षा का एक समान स्तर सुनिश्चित करेगी।
शहरों को अपने मैनहोल तथा सीवरों के प्रबंधन हेतु सरल लागत प्रभावी यांत्रिक उत्पाद उपयोग करने की सलाह दी गई है।
एमएस अधिनियम, 2013 की धारा 33 के अनुसार, प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी अथवा अन्य एजेंसी द्वारा सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए समुचित तकनीकी उपकरण का उपयोग किया जाना अपेक्षित है। सरकार को वित्तीय सहायता, प्रोत्साहनों और अन्य सुविधाओं के माध्यम से आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग को संवर्धित करना होगा।
हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के रूप में नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास नियमावली, 2013 (एमएस नियमावली, 2013) के अनुसार नियोक्ता द्वारा सुरक्षा गीयर, उपकरण उपलब्ध कराना और नियमावली में निर्धारित सुरक्षा सावधानियों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है।
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सीवरों तथा सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसके अलावा, शहरों में स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु नमस्ते स्कीम देश के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में कार्यान्वित की जा रही है।
सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मैन्युअल सफाई को समाप्त करने और सभी सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा में सुधार करने की दिशा में एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में, भारत के 500 शहरों ने खुद को 'सफाई मित्र सुरक्षित शहर' घोषित किया था।
सफाई कर्मचारियों की कार्य स्थिति में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा आरंभ की गई मशीनीकृत स्वच्छता इकोसिस्टम के लिए राष्ट्रीय योजना (नमस्ते) योजना की यह एक बड़ी उपलब्धि है।
भारत में कई सफाई कर्मचारी सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय जहरीली गैसों में सांस लेने से मर जाते हैं। जुलाई 2022 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में कहा था कि पिछले पांच वर्षों में ऐसी 347 मौतें हुई हैं।
नमस्ते, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे उसने केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के साथ वर्ष 2022 में आरंभ किया था।
नमस्ते योजना का मुख्य उद्देश्य मृत्यु दर को शून्य करना है।
इस योजना का अनुमोदन 360 करोड़ रुपये की लागत के साथ चार वर्षों के लिए 2022-23 से 2025-26 तक किया गया है।
नमस्ते योजना एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर शहरी भारत में स्वच्छता कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और सम्मान की परिकल्पना करता है जो स्वच्छता बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव में स्वच्छता श्रमिकों को प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उन्हें मान्यता प्रदान करता है।
भारत में स्वच्छता कार्य के कारण किसी की मौत नहीं होना।
सभी कार्य कुशल श्रमिकों द्वारा स्वच्छता का काम किया जाना।
किसी भी सफाई कर्मचारी का मानव मल पदार्थ के सीधे संपर्क में नहीं आना।
स्वच्छता कर्मचारियों को स्वयं सहायता समूहों में एकत्रित करना और उन्हें स्वच्छता उद्यम चलाने का अधिकार प्रदान करना।
सभी सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारियों (एसएसडब्ल्यू) की पहुंच वैकल्पिक आजीविका तक होना।
प्रारंभ में नमस्ते योजना उन 500 शहरों में लागू की जा रही है, जिन्हें केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड ट्रांसफॉर्मेशन) मिशन के तहत पहचाना गया है।
यह मार्च 2024 तक सभी पात्र भारतीय शहरों को इसमें शामिल करेगा।
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