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Utkarsh Classes
Updated: 31 Jul 2025
3 Min Read
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 30 जुलाई, 2025 को श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईएसओ) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसरो और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) द्वारा संयुक्त रूप से निष्पादित 1.5 बिलियन डॉलर का निसार मिशन, अंतरिक्ष हार्डवेयर के क्षेत्र में दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच पहला सहयोग है।
2,393 किलोग्राम वज़न वाला निसार उपग्रह दुनिया का पहला द्वि-आवृत्ति सिंथेटिक अपर्चर रडार उपग्रह है। इसमें एल और एस बैंड, दोनों सिंथेटिक अपर्चर रडार लगे हुए हैं।
यह अंतरिक्ष हार्डवेयर के क्षेत्र में इसरो और नासा का पहला संयुक्त उद्यम था।
नासा ने एल-बैंड रडार, जीपीएस रिसीवर, 12 मीटर का तैनात करने योग्य एंटीना और एक उच्च गति दूरसंचार प्रणाली का निर्माण किया।
इसरो ने एस-बैंड रडार और अंतरिक्ष यान बस का निर्माण किया तथा इसे अपने रॉकेट से प्रक्षेपित किया ।
भारत और नासा द्वारा निर्मित घटकों का नासा की सुविधाओं में एकीकरण और परीक्षण किया गया और फिर उपग्रह को अंतिम प्रक्षेपण के लिए इसरो को सौंप दिया गया।
उपग्रह का जीवनकाल 5 वर्ष होगा।
यह उपग्रह एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है जो हर 12 दिनों में पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढकी सतहों, जिनमें द्वीप, समुद्री बर्फ और चुनिंदा महासागर शामिल हैं, का अवलोकन करेगा।
यह उपग्रह भूमि पारिस्थितिक तंत्र, भूमि और बर्फ के विरूपण, और अमेरिकी तथा भारतीय विज्ञान समुदायों के साझा हित वाले समुद्री क्षेत्रों का अध्ययन करेगा।
यह निम्नलिखित में भी मदद करेगा:
निसार उपग्रह को इसरो के जीएसएलवी-एफ16 एमके-II द्वारा इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी), जिसे श्रीहरिकोटा उच्च ऊंचाई रेंज (एसएचएआर) के नाम से भी जाना जाता है, से प्रक्षेपित किया गया। यह केंद्र श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में स्थित है।
भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क II (जीएसएलवी एमके II) इसरो द्वारा विकसित किया गया है और यह चार द्रव स्ट्रैप-ऑन वाला तीन चरणों वाला रॉकेट है।
इस रॉकेट के ऊपरी चरण में एक स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन लगा है।
जीएसएलवी-एमके II रॉकेट भारी उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षाओं में स्थापित करने में सक्षम है।
जीएसएलवी-एफ16 एमके-II ने निसार उपग्रह को 747 किलोमीटर लंबी सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया।
यह रॉकेट का 18वाँ मिशन और स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण का उपयोग करने वाला 12वाँ मिशन था।
स्थापना--15 अगस्त 1969
यह भारत का प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है।
मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
अध्यक्ष: वी. नारायणन
स्थापना--1958 में संयुक्त राज्य सरकार द्वारा।
अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान में संलग्न विश्व की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है।
नासा अपने अंतरिक्ष रॉकेट फ्लोरिडा में टैम्पा खाड़ी के पास केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन या कैनेडी स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित करता है।
मुख्यालय: वाशिंगटन, डी.सी.
प्रशासक- सीन डफी (कार्यवाहक)
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