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भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2025 तक बढ़कर 150 बिलियन डॉलर हो जाएगी: डॉ. जितेंद्र सिंह
Utkarsh Classes
Updated: 22 Aug 2023
3 Min Read
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने 22 अगस्त 2023 को कहा कि 2025 तक भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 150 अरब डॉलर की हो जाएगी जो 2022 में 100 अरब डॉलर के करीब थी।
डॉ. जितेंद्र सिंह नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और यूनाइटेड स्टेट्स-नेशनल साइंस फाउंडेशन (यूएस-एनएसएफ) के बीच 'कार्यान्वयन व्यवस्था' पर हस्ताक्षर समारोह के समय सम्बोधित कर रहे थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह 'कार्यान्वयन व्यवस्था' 'जैव प्रौद्योगिकी नवाचार और जैव विनिर्माण' के क्षेत्र में नवाचारों में तेजी लाने पर दोनों देशों के बीच सहयोग की नींव रखेगी। उन्होंने कहा कि यह जैव दोनों देशों की जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही प्रौद्योगिकी उद्योगों को सशक्त बनाने के लिए सहायक सहयोगात्मक अनुसंधान के माध्यम से ज्ञान, प्रौद्योगिकियों और नवाचार को आगे बढ़ाएगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत का लगातार बढ़ता जैव-अर्थव्यवस्था ग्राफ भारत की समग्र अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला है। उन्होंने कहा कि वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी उद्योग बाजार में भारत की हिस्सेदारी 3-5 प्रतिशत है और यह जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में 12वें और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत के पास वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है; और भारत विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है ।
इसके अलावा, वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी सूचकांकों में भारत की रैंकिंग लगातार बढ़ रही है और वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) 2022 के अनुसार भारत नवीन अर्थव्यवस्थाओं में 40वें स्थान पर है।
यूएस-नेशनल साइंस फाउंडेशन (यूएस-एनएसएफ) एक स्वतंत्र संघीय एजेंसी है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में विज्ञान और इंजीनियरिंग का समर्थन करती है। इसकी स्थापना अनुदानों के प्रबंधन के माध्यम से विज्ञान की प्रगति को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, जैव अर्थव्यवस्था " एक स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को जानकारी, उत्पाद, प्रक्रियाएं और सेवाएं प्रदान करने के लिए संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहित जैविक संसाधनों का उत्पादन, उपयोग और संरक्षण है"।
इसमें भोजन, ऊर्जा और औद्योगिक वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए नवीकरणीय जैविक संसाधनों का निरंतर उपयोग करना शामिल है। यह लाखों टन जैविक कचरे और अवशिष्ट सामग्रियों के भीतर संग्रहीत अप्रयुक्त क्षमता का भी दोहन करता है।
जैव-आधारित उत्पादों में बायोप्लास्टिक्स, बायोडिग्रेडेबल कपड़े और इको-डिज़ाइन से संबंधित अन्य उत्पाद शामिल हैं। बायोमास की तरह, बायोएनर्जी ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा में सुधार करती है, ऊर्जा निर्भरता को कम करती है और विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा करती है।
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