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बीएलडब्ल्यू वाराणसी द्वारा निर्मित दो लोकोमोटिव को राइट्स द्वारा मोजाम्बिक निर्यात किया गया
Utkarsh Classes
Updated: 27 Jun 2025
3 Min Read
भारतीय रेलवे ने हाल ही में अफ्रीकी देश मोजाम्बिक को दो लोकोमोटिव (इंजिन) का निर्यात किया हैं, जिनका निर्माण बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू), वाराणसी, उत्तर प्रदेश में किया गया है। लोकोमोटिव को भारतीय रेलवे निर्यात एजेंसी, राइट्स (पूर्व में रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस) लिमिटेड द्वारा मोजाम्बिक भेजा गया है।
हाल ही में, वेबटेक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बिहार के मरहौरा डीजल लोकोमोटिव प्लांट में निर्मित डीजल-संचालित इंजनों को गिनी को निर्यात किया।
राइट्स ने नवंबर 2023 में प्रतिस्पर्धी अंतरराष्ट्रीय बोली प्रक्रिया के माध्यम से मोजाम्बिक को 37.7 मिलियन डॉलर में 10 इंजनों की आपूर्ति करने का अनुबंध हासिल किया किया था ।
आइवरी कोस्ट के अबिदजान स्थित अफ्रीकी विकास बैंक ने 10 इंजनों को खरीदने के लिए मोजाम्बिक को ऋण प्रदान किया है।
मोजाम्बिक के विनिर्देशों के अनुसार सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ बीएलडब्ल्यू, वाराणसी में इंजनों का निर्माण किया गया था।
जून 2025 में दो इंजनों को मोजाम्बिक भेजा गया है, और शेष 8 इंजन, दिसंबर 2025 तक होने की उम्मीद है।
बीएलडब्ल्यू ने पहली बार 2008 में मोजाम्बिक को डीजल इंजनों का निर्यात किया था।
इसने 2021-23 की अवधि में फिर से मोजाम्बिक को छह 3000 एचपी (हॉर्सपावर) इंजनों की सफलतापूर्वक डिलीवरी की।
मोजाम्बिक से दोबारा मिला ऑर्डर भारतीय निर्मित इंजनों की स्वीकृति को दर्शाता है, खासकर अफ्रीकी देशों में।
बीएलडबल्यू को पहले डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडबल्यू) के नाम से जाना जाता था। यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है।
डीजल लोकोमोटिव वर्क्स की आधारशिला 1956 में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी।
इसने 1961 में उत्पादन शुरू किया और पहला लोकोमोटिव 1964 में भारतीय रेल को सौपा गया।
1976 में इसने पहली बार अपने डीजल इंजनों को तंजानिया को निर्यात किया।
शुरू में यह सिर्फ डीजल इंजनों का निर्माण किया करता था लेकिन, 2017 से इसने इलेक्ट्रिक इंजनों का उत्पादन शुरू किया।
इसने 10,000 से ज़्यादा डीजल और इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण किया है और श्रीलंका, बांग्लादेश, वियतनाम, म्यांमार, अंगोला, सूडान, मोज़ाम्बिक और तंजानिया को निर्यात किया है।
कंपनी की स्थापना 1974 में कंपनी अधिनियम 1956 के तहत रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस लिमिटेड के रूप में की गई थी।
कंपनी ने 2000 में अपना नाम बदलकर राइट्स लिमिटेड कर लिया।
यह केंद्रीय रेल मंत्रालय के तहत एक नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) है।
कंपनी एक परिवहन और इंजीनियरिंग परामर्श संगठन है।
कंपनी भारतीय रेलवे की रोलिंग स्टॉक (लोकोमोटिव, कोच, ट्रेनसेट आदि सहित) प्रदान करने वाली निर्यात शाखा है।
कंपनी एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व क्षेत्रों के 55 से अधिक देशों में मौजूद है।
मुख्यालय- गुरुग्राम,हरियाणा
प्रधानमंत्री मोदी ने गिनी को निर्यात के लिए बिहार में निर्मित पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाई
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