नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर वैश्विक बुनियादी ढांचे और निवेश (पीजीआईआई) के लिए साझेदारी पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक विशेष कार्यक्रम की सह-अध्यक्षता के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की घोषणा की।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप' आर्थिक गलियारा (आईएमईसी)
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा अपनी तरह का पहला आर्थिक गलियारा है जो भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ़्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका को शामिल करते हुए कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक पहल होगी।
- यह परियोजना पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट नामक पहल का हिस्सा है।
- रेल और शिपिंग कॉरिडोर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट (पीजीआईआई) विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए जी 7 देशों द्वारा एक सहयोगात्मक प्रयास है।
- पीजीआईआई एक विकासात्मक पहल है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के अंतर को कम करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर एसडीजी की प्रगति में तेजी लाने में मदद करना है।
- परियोजना का लक्ष्य ऊर्जा उत्पादों सहित शामिल देशों के बीच अधिक व्यापार को सक्षम बनाना होगा।
- यह चीन के उस महत्वकांक्षी योजना, जिसके माध्यम से चीन ने विशाल बुनियादी ढांचे के निर्माण के द्वारा दुनिया के अधिकांश हिस्सों को उस देश की अर्थव्यवस्था से जोड़ने की कोशिश की है, का एक महत्वपूर्ण काउंटरों या प्रतिउत्तरों में से एक होगा।
- गलियारे में एक रेल लिंक के साथ-साथ एक बिजली केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी शामिल होगी।
- रेल सौदा भारत से यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल के माध्यम से यूरोप तक शिपिंग और रेल लाइनों को जोड़ेगा।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा के निर्माण से भारत और यूरोप के बीच व्यापार में लगभग 40% तक की वृद्धि होगी
- भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ने वाला रेल और शिपिंग कॉरिडोर बनाने की योजना एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
परियोजना के भाग
आईएमईसी में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल है।
- पूर्वी गलियारा पश्चिमी तट पर भारतीय बंदरगाह मुंद्रा को फुजैराह बंदरगाह से जोड़ेगा और फिर सऊदी अरब और जॉर्डन के माध्यम से रेलमार्ग का उपयोग करके मानकीकृत कंटेनरों के माध्यम से इजरायली बंदरगाह हाइफ़ा तक माल पहुंचाएगा।
- पश्चिमी गलियारा हाइफ़ा प्रारम्भ से होगा, जहाँ से भारतीय सामान फ्रांस के मार्सिले और इटली और ग्रीस के अन्य बंदरगाहों तक पहुँचेगा।
परियोजना के उद्देश्य
जी20 भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा "विभाजन के बाद क्षेत्र में विस्तारित और गहरी कनेक्टिविटी बहाल करने की भारत की खोज को पूरा करता है"। यह पाकिस्तान द्वारा भूमि पहुंच से इनकार करने और क्षेत्र में चीन की कथित कनेक्टिविटी डिजाइनों से उत्पन्न बाधाओं का समाधान करेगा।
- इससे ऊर्जा और डिजिटल संचार के बढ़ते प्रवाह के माध्यम से इसमें शामिल देशों के बीच समृद्धि बढ़ेगी। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे से अतिरिक्त एशियाई देशों को आकर्षित करने, इसके प्रभाव क्षेत्र में विनिर्माण, खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
- एमओयू के अनुसार, गलियारे में भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल होगा।
- यह परियोजना निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी से निपटने में मदद करेगी।
- इसमें एक रेलवे नेटवर्क की सुविधा होगी जो मौजूदा समुद्री और सड़क परिवहन मार्गों के पूरक के रूप में विश्वसनीय और लागत प्रभावी सीमा-पार जहाज-से-रेल पारगमन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मुख्य रूप से मध्य पूर्व से होकर गुजरने वाले इस रेलवे मार्ग में बिजली के केबल और स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन बिछाने की योजनाएँ शामिल हैं।
- उन्नत बुनियादी ढाँचा आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, मध्य पूर्व के देशों को एक साथ लाने में मदद करेगा और उस क्षेत्र को "चुनौती, संघर्ष या संकट के स्रोत" के बजाय आर्थिक गतिविधि के केंद्र के रूप में स्थापित करेगा जैसा कि हाल ही में हुआ है।
- यह परियोजना बहुत महत्वाकांक्षी है क्योंकि इसमें वियतनाम, थाईलैंड, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों को इस गलियारे से जोड़ने की क्षमता है, अगर म्यांमार जुंटा इस परियोजना के लिए एक समर्पित बंदरगाह की अनुमति देता है और चीन की लगातार बढ़ती छाया से बाहर निकलता है।
- उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में भारत के लिए छह रेलवे निकास बिंदु हैं, और सभी का उपयोग मुंद्रा बंदरगाह के माध्यम से यूरोप में माल भेजने के लिए किया जा सकता है।