भारत के नेतृत्व में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले अतिथियों में चीन की ओर से आधिकारिक जानकारी दी गई कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसमें शामिल नहीं होंगे।
अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्थान पर जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे।
- शी जिनपिंग के भारत यात्रा के रद्द होने की आशंका पूर्व से ही जताई जा रही थी। हालांकि, चीन ने अब इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी है, परन्तु उसने इस यात्रा के रद्द होने के पीछे का कारण नहीं बताया है।
- इस सन्दर्भ में यह कयास लगाया जा रहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग 8-9 सितंबर 2023 को आसियान शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता का दौरा कर सकते हैं।
जी-20 में चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे ली कियांग:
- जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के सन्दर्भ में चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर भारतीय पक्ष को जानकारी दी है कि जी-20 शिखर सम्मेलन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे।
जी-20 सम्मेलन में रुसी राष्ट्रपति पुतिन भी रहेंगे अनुपस्थित:
- राष्ट्रपति शी जिनपिंग दूसरे ऐसे नेता हैं, जो जी-20 का सदस्य होते हुए भी इस सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं।
- इनसे पूर्व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जी-20 में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं। उनके स्थान पर रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे।
रूस के राष्ट्रपति का भारत नहीं आने का कारण:
- रूस के राष्ट्रपति इससे पर्व अगस्त में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे और पिछले वर्ष बाली में हुए जी-20 सम्मेलन का भी भाग नहीं थे, परन्तु भारत के साथ अच्छे संबंध होने के कारण कयास लगाए जा रहे थे कि पुतिन जी-20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आवश्य आएंगे।
- रूस ने यूक्रेन युद्ध का कारण बताते हुए भारत में हो रहे सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता जताई है। इस सन्दर्भ में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की तरफ से पुतिन के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किये जाने के बाद वह अपने विदेश दौरों से बच रहे हैं।
- हालांकि ऐसा भी माना जा रहा है कि पुतिन चीन जाने वाले हैं और गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद पुतिन का यह पहला विदेशी दौरा होगा।
शी जिनपिंग के भारत नहीं आने का कुछ संभावित कारण:
- चीन को डर है कि भारत-चीन तनाव के कारण शी जिनपिंग को जी20 में विशेष रूप से गर्मजोशी से स्वागत मिलने की संभावना नहीं है।
- कई यूरोपीय देश यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस को चीन के समर्थन को लेकर नाराज हैं।
- ऐसे में पश्चिमी देश भी शी जिनपिंग के सामने चीन की आलोचना कर सकते हैं।
- अमेरिका भी चीन के विरुद्ध लगातार आक्रामक है और वह जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ के देशों के साथ बीजिंग की आक्रामकता का सामना करने के लिए एक अलग गुट बना रहा है।
- इसके अतिरिक्त भारत के साथ सीमा विवाद, पुतिन का नहीं शामिल होना, चीन और अमेरिका का ट्रेड वार के दौर से गुजरना, ग्लोबल साउथ का मुद्दा आदि ऐसे मुद्दा है जिनसे बचने के लिए राष्ट्रपति जिनपिंग ने भारत न आने में ही अपनी भलाई समझी है।