केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 4 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की 38वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान संसदीय राजभाषा समिति के प्रतिवेदन के बारहवें खंड को भी अनुमोदित किया गया जिसे भारत की राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाएगा।
आज़ादी के बाद से 2014 तक संसदीय राजभाषा समिति के प्रतिवेदन के 9 खंड प्रस्तुत किए गए और 2019 से अब तक तीन खंडों को अनुमोदित किया जा चुका है। इन खंडों को विषयवार तैयार किया गया है और इस 12वें खंड का मुख्य विषय सरलीकरण है।
इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में देश के समक्ष पांच प्रण रखे हैं जिनमें से दो प्रण हैं- विरासत का सम्मान और गुलामी के चिन्हों को मिटाना।
श्री शाह ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि इन दोनों प्रण के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के लिए सभी भारतीय भाषाओं और राजभाषा को अपनी शक्ति दिखानी होगी। विरासत का सम्मान भाषा के सम्मान के बिना अधूरा है और राजभाषा की स्वीकृति तभी आएगी जब हम स्थानीय भाषाओं को सम्मान देंगे।
श्री शाह के अनुसार, हिन्दी की स्पर्धा स्थानीय भाषाओं से नहीं है, सभी भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने से ही राष्ट्र सशक्त होगा। वर्तमान में बिना किसी प्रकार के विरोध के राजभाषा की स्वीकृति बनाने की आवश्यकता है।
इस सन्दर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने पहल कर के इंजीनियरिंग और मेडिकल के पाठ्यक्रमों को 10 भाषाओं में शुरू कर दिया है और शीघ्र ही ये सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा।
राजभाषा की स्वीकृति कानून या सर्कुलर से नहीं बल्कि सद्भावना, प्रेरणा और प्रयास से आती है। गुलामी के कालखंड के बाद भी भारतीय भाषाएं और उनके शब्दकोष अक्षुण्ण रहे, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा (अनुच्छेद 120): भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किंतु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद में कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा।
विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा (अनुच्छेद 210): भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किंतु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा।
संघ की राजभाषा (अनुच्छेद 343): संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।