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एसकेयूएएसटी, कश्मीर के डॉ. शाह और उनकी टीम ने भारत की पहली जीन संपादित भेड़ बनाई
Utkarsh Classes
Updated: 27 May 2025
3 Min Read
कश्मीर स्थित ,शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसकेयूएएसटी), में पशु जैव प्रौद्योगिकी के प्रोफेसर डॉ रियाज अहमद शाह के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने भारत की पहली जीन-संपादित भेड़ बनाकर एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
डॉ रियाज उस टीम के प्रमुख भी थे जिसने 2012 में भारत की पहली क्लोन पश्मीना बकरी 'नूरी' बनाई थी। नूरी का 2023 में निधन हो गया था।
डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) एक अणु है जो किसी जीव के विकास और कार्य करने के लिए आवश्यक सभी जानकारी होती है।
यह मुख्य रूप से जीव की कोशिकाओं के नाभिक में स्थित होता है।
आनुवंशिक जानकारी माता-पिता द्वारा अपनी संतानों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को डीएनए के द्वारा पहुँचाई जाती है।
जीन-संपादन से तात्पर्य किसी जीव के डीएनए में जानबूझकर किए गए परिवर्तनों से है, ताकि उस जीव में में वांछित परिवर्तन प्राप्त किया जा सके।
जीन-संपादन में वैज्ञानिक जीव के डीएनए को एक विशिष्ट स्थान पर काटते हैं, जहाँ वे इसे बदलना या संशोधित करना चाहते हैं। फिर वैज्ञानिक जीव में वांछित परिवर्तन प्राप्त करने के लिए डीएनए को या तो हटाते हैं, जोड़ते हैं या बदलते हैं, ताकि वांछित परिवर्तन- जैसे जीव का रंग बदलना, मांसपेशियों को मजबूत करना या किसी विशिष्ट बीमारी के जोखिम को कम करना आदि - हासिल किया जा सके।
जीन-संपादन के लिए वैज्ञानिक कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। 2009 में ईजाद की गई CRISPR तकनीक का इस्तेमाल दुनिया भर में ज़्यादा होता है।
डॉ. शाह और उनकी टीम ने जीन-संपादन के लिए CRISPR-cas9 तकनीक का उपयोग करके एक मादा भेड़ के जीन को संपादित किया। भेड़ के शरीर में कोई विदेशी जीन नहीं डाला गया।
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