ब्रिटेन की सामंथा हार्वे ने अपने अंतरिक्ष आधारित लघु उपन्यास ऑर्बिटल के लिए 2024 का बुकर पुरस्कार जीता। यह सामंथा हार्वे के लिए पहला बुकर पुरस्कार है और 2019 के बाद किसी महिला लेखक द्वारा जीता जाने वाला पहला पुरस्कार है।
बुकर पुरस्कार 2024 के विजेता की घोषणा 12 नवंबर 2024 को लंदन, इंग्लैंड में एक आयोजित एक समारोह में की गई। समारोह में बुकर पुरस्कार ट्रॉफी और £50,000 की पुरस्कार राशि सामंथा हार्वे को प्रदान की गई।
आयरिश लेखक पॉल लिंच की ‘प्रोफेट सॉन्ग’ ने 2023 का बुकर पुरस्कार जीता था।
ऑर्बिटल उपन्यास के बारे में
ऑर्बिटल उपन्यास सामंथा हार्वे द्वारा कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान लिखा गया था। कहानी एक अंतरिक्ष स्टेशन पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे छह अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन के एक दिन का वर्णन करती है। 24 घंटों के दौरान वे दुनिया भर में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं।
136 पन्नों की यह कहानी बुकर पुरस्कार जीतने वाली दूसरी सबसे छोटी उपन्यास है।
पुरस्कार जीतने वाली सबसे छोटीउपन्यास पेनेलोप फिट्जगेराल्ड की 1979 में प्रकाशित ,132 पन्नों की ऑफशोर है।
इससे पहले सामंथा की पहली उपन्यास-द वाइल्डरनेस को 2009 में पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था लेकिन उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला था ।
सामंथा हार्वे की अन्य कृतियाँ हैं - द वेस्टर्न विंड, डियर थीफ, द शेपलेस अनीज़: ए ईयर ऑफ़ नॉट स्लीपिंग, द वाइल्डरनेस और ऑल इज़ सॉन्ग है ।
2024 बुकर पुरस्कार के लिए अंतिम चयनित पुस्तकें
ऑफशोर सहित छह पुस्तकों को 2024 बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।
- जेम्स- अमेरिकन पर्सीवल एवरेट द्वारा लिखित
- क्रिएशन लेक- संयुक्त राज्य अमेरिका के राचेल कुशनर द्वारा लिखित
- हेल्ड -कनाडा की ऐनी माइकल्स द्वारा लिखित
- द सेफकीप -नीदरलैंड के येल वैन डेर वूडेन द्वारा लिखित
- स्टोन यार्ड डिवोशन -ऑस्ट्रेलिया की चार्लोट वुड द्वारा लिखित
बुकर पुरस्कार के बारे में
- 1968 में स्थापित बुकर पुरस्कार, अंग्रेजी साहित्य में सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक माना जाता है।
- 1969 से, हर साल यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड गणराज्य में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित उपन्यासों को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया जाता है।
- पहला बुकर पुरस्कार 1969 में ब्रिटेन के पीएच न्यूबी को उनकी पुस्तक "समथिंग टू आंसर फॉर" के लिए प्रदान किया गया था।
बुकर पुरस्कार के भारतीय विजेता
अब तक तीन भारतीय लेखक बुकर पुरस्कार जीत चुके हैं।
- अरुंधति रॉय, 1997 में द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स के लिए,
- किरण देसाई, 2006 में "द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस" के लिए,
- अरविंद अडिगा,2008 में ‘द व्हाइट टाइगर के लिए”।
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
- 2004 से बुकर फाउंडेशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
- गैर-अंग्रेजी भाषा में लिखी गई और अंग्रेजी में अनुवादित तथा यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित पुस्तकों पर पुरस्कार के लिए विचार किया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार पहली बार 2004 में प्रदान किया गया था।
- यह पुरस्कार द्विवार्षिक था और 2016 से इसे वार्षिक रूप से प्रदान किया जा रहा है
- यह पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र भारतीय गीतांजलि श्री हैं। उन्होंने उनके हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (रेत समाधि) के लिए 2022 का पुरस्कार दिया गया था।