लगातार तीसरी बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के बाद 15 जून 2024 को स्वदेश लौट आए। वह 14 जून 2024 को बोर्गो इग्नाज़िया, अपुलिया, इटली में आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन (जी7) आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए इटली की एक दिवसीय यात्रा पर थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था।
यह पांचवीं बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 7आउटरीच सत्र में शामिल हुए थे। इससे से पहले वे 2019,2021,2022,2023 और 2024 में शामिल हुए थे।
उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के रिकॉर्ड की बराबरी की है, जो पांच बार जी 7 आउटरीच सत्र में भाग ले चुके हैं।
2003 में जी 7 के आउटरीच सत्र में भाग लेने का निमंत्रण पाने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
अपनी इटली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ,यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की और यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के साथ चर्चा की।
विश्व नेताओं के साथ अपनी बातचीत के दौरान, प्रधान मंत्री मोदी ने प्रभावशाली समाधान बनाने के लिए उनके साथ साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया जिससे वैश्विक समुदाय को लाभ हो और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण हो।
50वीं जी 7 बैठक की मेजबानी 13 से 15 जून 2024 तक अपुलीया में इटली द्वारा की गई थी। बैठक में जी 7 के सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। बैठक में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो, यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, और मेजबान इटली के प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने भाग लिया।
जी 7 मेजबान देश को आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए अन्य देशों या बहुपक्षीय संस्थानों को आमंत्रित करने का अधिकार है जहां किसी विशेष मुद्दे या कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
इस बार, इटली ने अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, भारत, जॉर्डन, केन्या, मॉरिटानिया, ट्यूनीशिया, तुर्किये और संयुक्त अरब अमीरात को आमंत्रित किया। इन देशों के अलावा अफ्रीकी विकास बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया था ।
जी 7 शिखर बैठक में सदस्य देशों ने रूसी आक्रमण के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन का समर्थन किया।
शिखर सम्मेलन के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ एक 10-वर्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन को आधुनिक हथियार और गोला-बारूद प्रदान करेगा, लेकिन वह यूक्रेन में अमेरिकी सेना भेजकर रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन की मदद नहीं करेगा।
जी 7के देश रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद जब्त की गई रूसी संपत्तियों से ब्याज का उपयोग करके यूक्रेन को 50 बिलियन डॉलर का ऋण प्रदान करने पर भी सहमत हुए।
जी 7, सात सबसे अधिक औद्योगिकीकरण वाले लोकतांत्रिक देशों का एक अनौपचारिक समूह है। जी 7 समूह, 1973 के अरब इजरायली युद्ध के बाद अरब देशों द्वारा कच्चे पेट्रोलियम तेल की कीमतों में वृद्धि के बाद फ्रांस की पहल पर बनाया गया था।
जी 7 की पहली शिखर बैठक 1975 में फ्रांस में हुई।
अगली 51वीं शिखर बैठक 2025 में कैनानास्किस, अल्बर्टा, कनाडा में आयोजित की जाएगी।