भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की पहली अंतरिक्ष आधारित सौर वेधशाला आदित्य एल-1 को 2 सितंबर 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन को सफल बनाने वाली टीम का नेतृत्व श्रीमती निगार शाजी कर रही हैं, जो कि आदित्य एल1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं।
निगार शाजी
निगार शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई शहर में हुआ था। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची झारखंड से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर किया।
वह 1987 में इसरो के एक प्रभाग, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा में शामिल हुईं। बाद में उनका स्थानांतरण यूआर राव सैटेलाइट सेंटर बेंगलुरु में हो गया । वे इसरो में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहीं हैं । वो रिसोर्ससैट-2ए,ष्ट्रीय संसाधन निगरानी और प्रबंधन के लिए भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रह चुकी हैं।
इसरो की उल्लेखनीय महिला वैज्ञानिक
इसरो की विभिन्न शाखाओं के संचालन में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार सफल चंद्रयान 3 मिशन में 100 से अधिक महिला इंजीनियर और वैज्ञानिक शामिल थे। इसरो के 16,000 कर्मचारियों में से लगभग 20 से 25 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसरो की कुछ उल्लेखनीय महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर निम्नलिखित हैं;
रितु करिधल
इसरो में सबसे प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में से एक रितु करिधल हैं जो 1997 में इसरो में शामिल हुईं। वह चंद्रयान -2 की मिशन निदेशक थीं। वह 5 नवंबर 2013 को प्रक्षेपित किए गए मार्स ऑर्बिटर मिशन मंगलयान में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी थीं।
उन्हें भारत की "रॉकेट महिला" के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें 2007 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से इसरो यंग साइंटिस्ट अवार्ड भी मिल चुका है।
(रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की टेसी थॉमस को भारत की मिसाइल महिला के रूप में जाना जाता है। वह अग्नि IV मिशन की परियोजना निदेशक थीं)
वनिता मुथैया
वनिता मुथैया को इसरो में पहली महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर होने का गौरव प्राप्त है। वह चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं। उन्होंने कार्टोसैट-1, ओशनसैट-2 और अन्य जैसे मिशनों में उप परियोजना निदेशक के रूप में भी काम किया है। मुथैया को 2006 में सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।
अनुराधा टी.के
1982 में इसरो में शामिल हुईं अनुराधा टीके इसरो में सैटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने जीसैट-9, जीसैट-17 और जीसैट-18 जैसे तीन संचार उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण का नेतृत्व किया था । उन्होंने संचार उपग्रहों में विशेषज्ञता हासिल की थी और इसरो में 34 साल तक काम करने के बाद सेवानिवृत्त हो गईं हैं ।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
परीक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण फुल फॉर्म
इसरो/ISRO: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनिज़ैशन (Indian Space Research Organisation)