केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 में भारत का कुल वार्षिक रक्षा उत्पादन 1,26,887 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह किसी भी वित्तीय वर्ष में भारत का रक्षा उपकरणों और उत्पादों का अब तक का सबसे अधिक उत्पादन है। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय द्वारा 5 जुलाई 2024 को जारी किया गया। 2022-23 में देश में कुल रक्षा उत्पादन 1,08,684 करोड़ रुपये था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 में उत्पादन के कुल मूल्य में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम का योगदान लगभग 79.2% था, और निजी क्षेत्र का योगदान 20.8% था। निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों ने अपने उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की।
2023-24 में रक्षा उत्पादन 1,08,684 करोड़ रुपये की तुलना में 1,26,887 करोड़ रुपये था, जो 16.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करता है।
मूल्य के आधार पर देश में रक्षा उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है और पिछले पांच वर्षों में 60% से अधिक की वृद्धि हुई है। 2019 -20 में कुल रक्षा उत्पादन 79071 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 1,26,887 करोड़ रुपये हो गया है.
घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी का एक कारण भारत से रक्षा उत्पादों के रिकॉर्ड निर्यात भी है। 2023-24 में भारत ने 21,083 करोड़ रुपये के रक्षा सामान का निर्यात किया, जबकि 2022-23 में यह 15,920 करोड़ रुपये का।
सरकार ने 2024-25 में 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा सामान निर्यात करने का लक्ष्य रखा है।
भारत ,दुनिया भर के लगभग 85 देशों को मिसाइल, तोपखाने की बंदूकें, रॉकेट, बख्तरबंद वाहन, अपतटीय गश्ती जहाज, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, रडार, निगरानी प्रणाली और गोला-बारूद जैसे कई रक्षा सामान निर्यात करता है।
2014 में सत्ता में आई वर्तमान मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की नीति लागू की है। सरकार ने मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा उत्पादों के स्वदेशीकरण पर जोर दिया ।
सरकार ने भारत को वैश्विक रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने के लिए रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी सुविधाजनक बनाया है।
सरकार द्वारा रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कई सुधार कार्यक्रम लागू किए गए। सरकार ने भारत से रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नीति अपनाई । इन सभी कारकों ने भारत में रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन में योगदान दिया है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री: राजनाथ सिंह