इजराइल ने 13 जून 2025 की सुबह, ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमला किया। ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम से चलाए जा रहे इस अभियान.जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु क्षमता को खतम कर है, को इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अधिकृत किया था। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के जवाबी हमले की आशंका को डेकते हुए देश में आपातकाल की घोषणा भी की है।
इजराइल का सबसे बड़ा समर्थक देश, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा है कि वह इजराइली हमले में शामिल नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने यह भी घोषणा की कि ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम पर छठे दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी और ईरानी वार्ताकार 15 जून 2025 को ओमान में मिलेंगे।
इजरायल का यह हमला अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा 12 जून 2025 को लिए गए निर्णय के बाद हुआ है। आईएईए ने मतदान करके यह घोषित किया कि ईरानी परमाणु कार्यक्रम ने 1974 के समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया है, तथा यह शांतिपूर्ण नागरिक परमाणु कार्यक्रम की आवश्यकता से अधिक यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है।
ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य कमांडर मारे गए
इज़राइल रक्षा बल (आईडीएफ़) के अनुसार, उसने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्स (आईआरजीसी) के वरिष्ठ कमांडरऔर शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों को मारने के लिए ईरान में 100 से अधिक स्थलों पर हमला किया।
- ईरान के अनुसार, आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ़ हुसैन सलामी और ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मोहम्मद बाघेरी की इसराइली हमले में मौत हो गई।
- इस हमले में छह परमाणु वैज्ञानिक भी मारे गए, जिनमें ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख फ़ेरेदून अब्बासी और ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम में शामिल मोहम्मद महदी तेहरानची भी शामिल थे।
- इज़राइलियों ने नतांज़ में स्थित ईरान के मुख्य परमाणु स्थल पर भी हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया है।
परमाणु हथियार, एनपीटी और ईरान
ईरान परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का सदस्य है, जिस पर 1968 में हस्ताक्षर किये गये थे और यह 5 मार्च 1970 को लागू हुई थी।
एनपीटी के तहत, केवल पाँच देश - चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका, परमाणु हथियार रख सकते हैं।
एनपीटी के अन्य हस्ताक्षरकर्ता शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन सैन्य उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं।
भारत, पाकिस्तान और इज़राइल एनपीटी के सदस्य नहीं हैं। भारत और पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों का परीक्षण किया है, और दुनिया इस बात से सहमत है कि इज़राइल के पास भी परमाणु हथियार हैं, हालाँकि इसने कभी सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार नहीं किया है।
ईंधन के रूप में यूरेनियम
- यूरेनियम 235 एक विखंडनीय पदार्थ है, जिसे नागरिक या सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने योग्य बनाने के लिए समृद्ध किया जाता है।
- परमाणु हथियार के लिए, यूरेनियम 235 को 90% तक समृद्ध किया जाता है।
आईएईए की भूमिका
- वियना स्थित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) एनपीटी का पक्षकार नहीं है।
- यह ,एनपीटी पर हस्ताक्षर करने वाले उन देशों की परमाणु सुविधाओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार है जिन्होंने परमाणु हथियार न बनाने का वादा किया है।
- निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये देश सैन्य उद्देश्य के लिए यूरेनियम का उपयोग न करें।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम की समयरेखा
ईरान का पास एक सक्रिय परमाणु कार्यक्रम है और कई देशों को संदेह है कि वह परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है।
- आईएईए ने 2010 में एक रिपोर्ट में कहा था कि ईरान के पास अपने नतांज ईंधन संवर्धन संयंत्र में 19.75% संवर्धित यूरेनियम है।
- ईरान और P5+1 (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य - चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) + यूरोपीय संघ के बीच 2015 में बातचीत शुरू हुई और एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
- इस समझौते के तहत, ईरान को अपने संवर्धन को 3.57% तक सीमित रखना था और अमरीका तथा पश्चिमी देश उस पर लगाए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए देंगे।
- डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2018 में परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया और यह समझौता विफल हो गया।
- ईरान ने अपना परमाणु संवर्धन कार्यक्रम फिर से शुरू कर दिया और मई 2025 में जारी आईएईए की रिपोर्ट के अनुसार, उसने 10 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त संवर्धित यूरेनियम सामग्री का उत्पादन कर लिया है।
- वर्तमान डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के साथ वार्ता फिर से शुरू कर दी है, और छठे दौर की वार्ता 15 जून 2025 को ओमान में होने की उम्मीद है।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर दुनिया क्यों चिंतित है?
ईरान पर एक कट्टरपंथी इस्लामी सरकार का शासन है जो देश में इस्लामी क्रांति के बाद 1979 में सत्ता में आई थी। ईरानी सरकार ने खुले तौर पर कहा है कि वह इजरायल को नष्ट कर देगा और संयुक्त राज्य अमेरिका को अपना दुश्मन नंबर एक मानती है।
इजरायल का कहना है कि वह ईरान को परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं दे सकता, क्योंकि इससे उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
इजरायल ने पहले भी ईरान की परमाणु सुविधाओं को हैक करके और शीर्ष ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या करके ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
मुस्लिम नेतृत्व
- ईरान एक शिया बहुल मुस्लिम देश है, जबकि सऊदी अरब, यूएई आदि जैसे अन्य अरब देश सुन्नी मुसलमान हैं।
- ईरान और सऊदी अरब के बीच गहरी दुश्मनी है और दोनों ही खुद को इस्लामी दुनिया के नेता के रूप में पेश करते हैं।
- साथ ही, सऊदी अरब के संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ घनिष्ठ सैन्य संबंध हैं, और ईरानी सरकार को डर है कि ये दोनों देश ईरान में शासन बदलना चाहते हैं।
- अगर ईरान को परमाणु हथियार मिल जाता है, तो सऊदी अरब पर परमाणु हथियार बनाने का दबाव होगा।
- यह पश्चिम एशिया क्षेत्र में परमाणु हथियारों की दौड़ को बढ़ावा देगा, जो तेल और गैस भंडार से समृद्ध है और दुनिया के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
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