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भारतीय नौसेना चौथे सी विजिल अभ्यास 2024 की मेजबानी के लिए पूरी तरह तैयार है

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Indian Navy all set to host 4th Sea Vigil Exercise 2024 Military exercise 3 min read

भारतीय नौसेना, 20 और 21 नवंबर 2024 को चौथे सी विजिल अभ्यास की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। द्विवार्षिक सी विजिल एक राष्ट्रीय स्तर का तटीय रक्षा अभ्यास है जिसमें भारत के तटीय और समुद्री सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विभिन्न अन्य हितधारक शामिल हैं। तीसरा सी विजिल अभ्यास संस्करण, नवंबर 2022 में भारतीय नौसेना के समग्र नेतृत्व में आयोजित  किया गया था।

सी विजिल अभ्यास के बारे में 

भारतीय नौसेना के नेतृत्व में सी विजिल अभ्यास 2018 में शुरू किया गया था और यह हर दो साल में आयोजित किया जाता है। 

सी विजिल अभ्यास भारतीय नौसेना के अपने 'थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स)' का पूर्ववर्ती है, जो हर दो साल में आयोजित किया जाता है। 

भारत में सी विजिल अभ्यास की संकल्पना 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद की गई थी जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला करने के लिए समुद्री मार्गों का इस्तेमाल किया था।

देश के किसी विशेष तटीय क्षेत्र में तटीय सुरक्षा का आकलन करने के लिए भारतीय तटरक्षक बल देश के अलग अलग तटीय क्षेत्र में सागर कवच नाम से नियमित अभ्यास आयोजित किए जाते हैं।

सी विजिल अभ्यास एक राष्ट्रीय स्तर का अभ्यास है जहां समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा को लेकर देश की तैयारियों का आकलन किया जाता है।

सी विजिल 2024 के प्रतिभागी

भारतीय नौसेना चौथे सी विजिल अभ्यास का नेतृत्व करेगी और इसमें केंद्र सरकार के तटीय सुरक्षा से संबंधित,6 मंत्रालय और  21 संगठन/एजेंसियां ​​जैसे सीमा शुल्क, राज्य समुद्री पुलिस, भारतीय तटरक्षक आदि शामिल होंगे।

इस अभ्यास में भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना भी भाग ले रही है।

सी विजिल अभ्यास 2024 का दायरा और उद्देश्य

सी विजिल अभ्यास का चौथा संस्करण देश के 11,098 किलोमीटर लंबे समुद्र तट और 2.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में आयोजित किया जाएगा।

सी विजिल अभ्यास का उद्देश्य है;

  • समुद्री सुरक्षा के बारे में मछुआरों, तटीय आबादी आदि जैसे तटीय समुदायों के बीच जागरूकता पैदा करना।
  • भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और नेशनल कैडेट कॉर्प (एनसीसी) के छात्र भी अभ्यास में शामिल होंगे।
  • ऑयल रिग्स, बंदरगाहों, केबल लैंडिंग पॉइंट्स, सिंगल लैंडिंग पॉइंट्स और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे जैसी तटीय संपत्तियों की सुरक्षा को मजबूत करना।
  • देश के समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा को लेकर देश की तैयारियों का आकलन करना।
  • यह अभ्यास राष्ट्रों की समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा की ताकत और कमजोरी का यथार्थवादी मूल्यांकन प्रदान करना।

FAQ

उत्तर: भारतीय नौसेना और तटीय सुरक्षा से जुड़ी अन्य एजेंसियां ​​इसमें भाग लेती हैं।

उत्तर: 2018.

उत्तर: 2018 से हर दो साल में

उत्तर: हर दो साल में
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