प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने देश के सीमावर्ती गांवों के लिए वायब्रंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्व में सीमावर्ती गांव को देश का अंतिम गांव कहा जाता था, लेकिन सरकार ने उस सोच को बदला है।
अब वो देश का अंतिम गांव नहीं बल्कि सीमा पर नज़र आने वाला देश का पहला गांव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सूरज पूर्व में उगता है तो उस तरह के सीमावर्ती गांव में सूर्य की पहली किरण आती है और जब सूरज ढलता है तो इस तरफ के गांव को उसकी अंतिम किरण का लाभ मिलता है।
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सीमावर्ती गांवों के 600 प्रधान 77वें स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में विशेष मेहमान के रूप में इसमें भाग लिए हैं।
वीवीपी एक केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम है जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 (2025-26 तक) में की गई थी।
वीवीपी की शुरुआत उत्तर में सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने और ऐसे सीमावर्ती गाँवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई थी।
वीवीपी के तहत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल किया गया था।
आरंभ में इसके तहत 2,963 गाँवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 को पहले चरण में कवर किये जाएंगे।
ग्राम पंचायतों की सहायता से ज़िला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज़ एक्शन प्लान बनाए जाएंगे।
यह योजना उत्तरी सीमा पर सीमावर्ती गाँवों के स्थानीय, प्राकृतिक, मानव तथा अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक चालकों की पहचान एवं विकास करने में सहायता करेगी।
समुदाय आधारित संगठनों, सहकारी समितियों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से 'एक गाँव-एक उत्पाद' की अवधारणा पर स्थायी पर्यावरण-कृषि व्यवसायों का विकास करना।
सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं एवं महिलाओं के सशक्तीकरण के माध्यम से 'हब एंड स्पोक मॉडल' पर आधारित विकास केंद्रों का विकास करना।
स्थानीय, सांस्कृतिक, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देकर पर्यटन क्षमता का लाभ उठाना।