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अफीम पोस्त की खेती के लिए वार्षिक लाइसेंसिंग नीति 2023-24 की घोषणा की गई

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Opium poppy cultivation annual licensing policy 2023-24 announced Agriculture 7 min read

केंद्र सरकार ने 14 सितंबर 2023 को मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल वर्ष 2023-24 में अफीम पोस्त की खेती के संबंध में लाइसेंस की वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की है। 

इस नीति में शामिल सामान्य शर्तों के अनुसार इन राज्यों में लगभग 1.12 लाख किसानों को लाइसेंस दिए जाने की संभावना है। 

  • सरकार द्वारा जारी इस लाइसेंसिंग नीति में पिछले फसल वर्ष की तुलना में 27,000 अतिरिक्त किसानों को शामिल किया गया है।

मध्य प्रदेश के अफीम किसानों को दिया गया सर्वाधिक लाइसेंस:   

  • इस लाइसेंस को प्राप्त करने वाले लगभग 54,500 योग्य अफीम किसान मध्य प्रदेश से हैं। वहीं, राजस्थान के लगभग 47,000 और उत्तर प्रदेश के 10,500 किसान हैं।
  • यह आंकड़ा वर्ष 2014-15 को समाप्त होने वाली पांच वर्ष की अवधि के दौरान लाइसेंस दिए गए किसानों की औसत संख्या का लगभग 2.5 गुना है।
  • यह बढ़ोतरी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक दर्द कम करने संबंधी देखभाल और अन्य चिकित्सा उद्देश्यों के लिए औषध (फार्मास्युटिकल) तैयारियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से की गई है। 
  • साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि अल्केलॉइड उत्पादन घरेलू मांग के साथ-साथ भारतीय निर्यात उद्योग की जरूरतों को भी पूरा कर सके।

लाइसेंस नीति की मुख्य विशेषता: 

  • इस वार्षिक लाइसेंस नीति की मुख्य विशेषताओं में पहले की तरह यह प्रावधान शामिल है कि वैसे मौजूदा अफीम किसान, जिन्होंने मॉर्फिन (एमक्यूवाई-एम) की औसत उपज 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बराबर या उससे अधिक की है, उनके लाइसेंस को जारी रखा जाएगा।
  • इसके अलावा अन्य मौजूदा अफीम गोंद की खेती करने वाले किसान, जिन्होंने मॉर्फीन सामग्री उपज (3.0 किलोग्राम से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) के साथ गोंद की खेती की है, अब केवल पांच साल की लाइसेंस वैधता के साथ कंसेंट्रेटेड पॉपी (पोस्त) स्ट्रॉ (खसखस या भूसा) (सीपीएस) आधारित विधि के लिए योग्य होंगे।
  • इसके अलावा, वर्ष 2022-23 के सभी सीपीएस-आधारित किसान, जिन्होंने सरकार को अफीम की आपूर्ति की है, लेकिन किसी भी आदेश या निर्देश के तहत वंचित नहीं किया गया है, उनके लाइसेंस को भी इस वर्ष सीपीएस-आधारित खेती के लिए बनाए रखा गया है।
  • केंद्र सरकार ने इस नीति के दायरे में आने वाले किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए सीपीएस पद्धति जारी करने को लेकर सामान्य लाइसेंस शर्तों में और अधिक छूट दी है।
  • साल 2020-21 से अनलांस्ड पोस्त के लिए लाइसेंस की व्यवस्था सामान्य तरीके से शुरू की गई थी और तब से इसका विस्तार किया गया है।
  • वहीं, केंद्र सरकार ने अपने खुद के अल्केलॉइड कारखानों की क्षमता में बढ़ोतरी की है।
  • यह इन कारखानों में अच्छे प्रबंधन अभ्यासों को अपनाने के लिए आगे बढ़ रही है और भारत में अफीम प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने को लेकर पहले से ही अफीम गोंद के प्रसंस्करण के साथ-साथ पॉपी स्ट्रॉ के प्रसंस्करण के लिए निजी क्षेत्र के साथ जुड़ चुकी है। 
  • सरकार का उद्देश्य अनलांस्ड पोस्त के लिए लाइसेंसिंग को और अधिक विस्तारित करने का है।
  • केंद्र सरकार ने कंसेंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ के लिए पीपीपी आधार पर 100 मीट्रिक टन क्षमता की एक प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया है। इससे भारत न केवल अपनी घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम होगा, बल्कि अल्केलॉइड और अल्केलॉइड-आधारित उत्पादों का निर्यात भी कर सकेगा।
  • केंद्र सरकार देश में मांग और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है। मांग और प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी के साथ यह आशा की जाती है कि आने वाले तीन वर्षों में अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंसधारी किसानों की संख्या बढ़कर 1.45 लाख हो जाएगी।

देश में अफीम कृषि:

  • स्वतंत्रता उपरांत देश में अफीम की कृषि और इसके प्रसंस्करण क्षेत्र पर नियंत्रण अप्रैल 1950 से केंद्र सरकार के नियंत्रण में है।
  • वर्तमान में नारकोटिक्स आयुक्त द्वारा अधीनस्थों के साथ सभी शक्तियों का उपयोग करते हुए और अफीम की खेती तथा इसके उत्पादन के अधीक्षण से संबंधित सभी कार्यों को किया जाता है।
  • आयुक्त इस शक्ति को ‘नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985’ और ‘नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस रूल्स, 1985’ से प्राप्त करता है।
  • नारकोटिक्स आयुक्त कुछ मादक और नशीले पदार्थों के निर्माण के लिये लाइसेंस जारी करने के साथ मादक पदार्थों के निर्यात और आयात हेतु परमिट तथा इनके अनुमोदन की अनुमति देता है।
  • अफीम पोस्ता ​​की खेती केवल ऐसे भू-भागों में की जा सकती है, जो सरकार द्वारा अधिसूचित हैं। वर्तमान में ये भू-भाग तीन राज्यों तक ही सीमित हैं - मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश।
  • अफीम की खेती के कुल क्षेत्रफल का लगभग 80% भू-भाग मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और झालावाड़ ज़िलों में है।

FAQ

Ans. - 1.12 लाख किसानों को अफीम पोस्त की खेती लाइसेंस दिए जाने की संभावना है।

Ans. - मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश

Ans. - मध्य प्रदेश

Ans. - मध्य प्रदेश
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