गैया दूरबीन ने ‘शिव’ और ‘शक्ति’ नामक तारों की दो प्राचीन धाराओं को खोजा
Utkarsh ClassesLast Updated
22-03-2024
Space
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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के गैया अंतरिक्ष दूरबीन ने ‘शिव’ और ‘शक्ति’ नामक तारों की दो प्राचीन धाराओं की खोज किया है। ये नए खोज, आकाशगंगा की उत्पत्ति के बारे में मानवीय समझ को और उन्नत करेंगे।
लगभग 12 अरब वर्ष पूर्व बनी ये खगोलीय संरचनाएं हमारी आकाशगंगा के निर्माण में योगदान देने वाली सबसे प्रारंभिक संरचनाओं में से एक हैं।
एमपीआईए की ख्याति मल्हान के नेतृत्व में हुई खोज:
जर्मनी के हीडलबर्ग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी (एमपीआईए) की ख्याति मल्हान के नेतृत्व में इन प्राचीन संरचनाओं की खोज की गई है।
ख्याति मल्हान ने इन प्राचीन संरचनाओं का पता लगाने की क्षमता पर आश्चर्य व्यक्त किया है।
मल्हान के अनुसार, इन तारों के जन्म के बाद से आकाशगंगा में काफी बदलाव आया है।
यह खोज, गैया के अवलोकनों के माध्यम से संभव हुई। इससे शोधकर्ताओं को आकाशगंगा के भीतर तारों की कक्षाओं और संरचना के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी। मल्हान के अनुसार, इन तारों की कक्षाओं की कल्पना करने पर, दो नई संरचनाएं सामने आई, जो उनकी विशिष्ट रासायनिक संरचना से अलग थीं। शोधकर्ताओं ने उन्हें ‘शक्ति’ और ‘शिव’ नाम दिया।
प्रत्येक समूह लगभग 10 मिलियन सूर्यों का द्रव्यमान वहन करतें हैं। इसमें 12 से 13 बिलियन वर्ष की आयु के तारे उल्लेखनीय रूप से समान कक्षाओं और संरचनाओं में घूम रहे हैं।
वे अलग-अलग टुकड़ों के रूप में बने थे जो आकाशगंगा के इतिहास के आरंभ में ही उसमें विलीन हो गए थे।
दोनों धाराएँ आकाशगंगा के केंद्र की ओर स्थित हैं। इसे गैया द्वारा 2022 में 'गैलेक्टिक पुरातत्व' के माध्यम से खोजा गया। इस अन्वेषण से आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों का पता चला। इन सभी की उत्पत्ति आकाशगंगा की डिस्क के बनने से भी पहले हुई थी।
इस क्षेत्र के तारे इतने प्राचीन हैं कि उनमें ब्रह्मांड के जीवनकाल के बाद में बनाए गए कई भारी धातु तत्वों का अभाव है।
शक्ति और शिव तारे का नामकरण:
हालाँकि शक्ति और शिव में काफी समानताएँ हैं, फिर भी वे एक समान नहीं हैं। शक्ति तारे आकाशगंगा के केंद्र से थोड़ा आगे और शिव की तुलना में अधिक गोलाकार पथों में परिक्रमा करते हैं। इन धाराओं का नाम हिंदू दर्शन के एक दिव्य जोड़े के नाम पर रखा गया है, जो ब्रह्मांड के निर्माण का प्रतीक है।
आकाशगंगा के आरंभिक वर्ष:
यह खोज आकाशगंगा के प्रारंभिक वर्षों पर प्रकाश डालती है। इससे पता चलता है कि इसकी उत्पत्ति गैस और धूल के कई लंबे, अनियमित तंतुओं से हुई थी। ये आपस में जुड़े, तारे बने और अंततः आकाशगंगा को जन्म दिया।
भविष्य में गैया अंतरिक्ष दूरबीन डेटा रिलीज़ से इन घटकों के बारे में और अधिक पता चल सकता है।
गैया अंतरिक्ष दूरबीन के बारे में:
इसे दिसंबर 2013 में लॉन्च किया गया था।
गैया स्पेस क्राफ्ट, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संचालित एक मिशन है।
गैया एक दशक से अधिक समय से आसमान का सर्वेक्षण कर रहा है और काफी मात्रा में डेटा एकत्र कर रहा है।
इसका उद्देश्य आकाशगंगा में मौजूद करीब एक अरब तारों की स्थिति, दूरी, गति और अन्य गुणों को मापकर आकाशगंगा का एक सटीक 3डी मैप बनाना है।
आकाशगंगा के मानचित्रण के अलावा, गैया के डेटा का उपयोग खगोलीय घटनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का अध्ययन करने के लिए भी किया जा रहा है। जिसमें नए एक्सोप्लैनेट की खोज के साथ आकाशगंगा से परे तारा समूहों और आकाशगंगाओं की गतिशीलता पर नजर रखना है।
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