कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 1 मार्च, 2024 को भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) मुंबई और संबलपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान- 2021 के अनुरूप कोयला परिवहन को लेकर मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचे के लिए एक कदम है।
- इस समझौते पर हस्ताक्षर केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर कोल इंडिया के अध्यक्ष पीएम प्रसाद और एमसीएल के सीएमडी उदय अनंत काओले की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया।
आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान:
- दो आईआईएम और कोल इंडिया के बीच हस्ताक्षरित इस समझौता के माध्यम से स्थापित यह सहयोग, उद्योग विशेषज्ञता व अकादमिक उत्कृष्टता को एक साथ लाता है। यह लॉजिस्टिक दक्षता में परिवर्तनकारी वृद्धि का संकल्प करता है। साथ ही, यह आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता में अपना योगदान देता है।
एमसीएल के अधिकारियों के लिए पीजीपी-एक्स पाठ्यक्रम:
- इस पहल के तहत एमसीएल और अन्य सहायक कंपनियों में कार्यरत कोल इंडिया के अधिकारियों के लिए पीजीपी-एक्स पाठ्यक्रम को संचालित किया जाएगा।
- यह पाठ्यक्रम एक साल के लिए "डिजिटलीकरण के माध्यम से लॉजिस्टिक्स और परिचालन उत्कृष्टता" पर आधारित होगा।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के बारे में:
- कोल इंडिया लिमिटेड एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो भारत में सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और आपूर्तिकर्त्ता है।
- यह कोयला खान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 के तहत संचालित होता है, जो इसे देश में कोयला खनन और वितरण पर एकाधिकार देता है।
- वर्ष 2010 में विनिवेश तक सीआईएल पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली इकाई थी। वर्तमान में सरकार के पास 67% शेयर प्रतिशत के साथ बहुमत हिस्सेदारी है।
- राज्य के स्वामित्त्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी नवंबर, 1975 में अस्तित्व में आई।
- सीआईएल, विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक तथा सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ता में से एक है।
- यह एक महारत्न कंपनी है जो राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का परिचालन एवं विस्तार करने हेतु भारत सरकार द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त है।
भारत में कोयला उत्पादन
- देश में कुल विद्युत् उत्पादन में कोयले का योगदान 54% है।
- भारत के कुल संचित भंडार का 99% कोयला गोंडवाना संरचना में पाया जाता है। जिसका निर्माण कार्बोनिफेरस एवं पर्मियन काल में हुआ। शेष कोयला टर्शियरी काल का है।
- गोंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी, पेंच, वर्धा आदि नदी घाटियों का कोयला क्षेत्र है-
- दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र- झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा आदि कोयला क्षेत्र।
- सोन घाटी कोयला क्षेत्र- मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में सिंगरौली, सोहागपुर, उमरिया, तातापानी कोयला क्षेत्र।
- महानदी घाटी कोयला क्षेत्र- छत्तीसगढ़ एवं ओडिसा में कोरबा एवं तालचर क्षेत्र।
- गोदावरी घाटी कोयला क्षेत्र- तेलंगाना में सिंगरेनी कोयला क्षेत्र।
- वर्धा घाटी कोयला क्षेत्र- महाराष्ट्र में चंद्रपुर, यवतमाल और नागपुर क्षेत्र।
- टर्शियरी कोयला क्षेत्र मेघालय, ऊपरी असम, अरुणाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर में विस्तृत है।