हाल ही में मधुमेह के एक नए प्रकार- टाइप 5 मधुमेह- को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है। इस नए टाइप 5 मधुमेह का कारण मोटापे से नहीं बल्कि कुपोषण से जुड़ा हुआ है। 7 से 10 अप्रैल 2025 तक बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन कांग्रेस की वार्षिक बैठक में ,आधिकारिक तौर पर इस बीमारी को टाइप 5 मधुमेह या युवावस्था में परिपक्वता-शुरुआत मधुमेह के रूप में मान्यता दी गई।
बीमारी को आधिकारिक मान्यता मिलने से टाइप 5 मधुमेह से पीड़ित रोगियों के बेहतर उपचार का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।
टाइप 5 मधुमेह की पहचान सबसे पहले 1955 में जमैका में हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने इस बीमारी को ब्रोकैलकुलस पैंक्रियाटिक मधुमेह और प्रोटीन-कमी वाले पैंक्रियाटिक मधुमेह के रूप में वर्गीकृत किया।
हालाँकि, डबल्यूएचओ ने 1999 में सबूतों के अभाव में इस वर्गिकरण को आधिकारिक रूप से मान्यता देना बंद कर दिया। डबल्यूएचओ के अनुसार उसके पास ईएसए कोई प्रमाण नहीं मिला जो यह सिद्ध कर सके की कुपोषण या प्रोटीन की कमी से मधुमेह होता है।
बैंकॉक सम्मेलन में, विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हुए कि कुपोषण से मधुमेह होता है, और वे टाइप 5 मधुमेह को एक गैर-संचारी रोग के रूप में मान्यता देने पर सहमत हुए।
बैंकॉक कांग्रेस में, वैज्ञानिक समुदाय इस बात पर सहमत था कि कुपोषण टाइप 5 मधुमेह का मुख्य कारण है। उन्होंने यह भी माना कि यह बीमारी मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका के निम्न और मध्यम आय वाले देशों में युवा व्यक्तियों में पाई जाती है।
टाइप 5 मधुमेह मुख्य रूप से बचपन या किशोरावस्था के दौरान जीर्ण कुपोषण के कारण होता है।
यह दुनिया भर में करीब 2.50 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है,जिनका बॉडी मास इंडेक्स 19 किलोग्राम/मी² से कम है ।
यह मुख्य रूप से से एशिया और अफ्रीका के युवा पुरुष में पाया जाता है।
टाइप 5 मधुमेह के अन्य कारण हैं;
लंबे समय तक कुपोषण ,शरीर के अग्न्याशय के विकास और कार्य को बाधित करता है, विशेष रूप से इंसुलिन-स्रावी बीटा कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
मधुमेह एक ऐसी चिकित्सा स्थिति है जिसमें रोगी का शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बनाता है।
अग्न्याशय इंसुलिन स्रावित करता है।
ग्लूकोज मानव शरीर में ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है, जो मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। ग्लूकोज रक्त द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में ले जाया जाता है जहाँ ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
इंसुलिन ग्लूकोज को उसके इच्छित गंतव्य तक पहुँचने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या अपर्याप्त इंसुलिन बनाता है, तो ग्लूकोज रक्त में जमा हो जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य जटिलताएँ पैदा होती हैं।
टाइप 1 डायबिटीज़
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, अग्न्याशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। यह मुख्य रूप से युवा और बच्चों में पाया जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज़
अग्नाशय की कोशिका पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करती है। कभी-कभी शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करती हैं (इंसुलिन प्रतिरोध का एक उदाहरण)।
आमतौर पर, टाइप 2 डायबिटीज़ मुख्य रूप से वयस्कों में पाई जाती है, लेकिन यह बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है।