संसद ने 11 अगस्त 2023 को दो धन विधेयकों केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) संशोधन विधेयक 2023 तथा एकीकृत वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) संशोधन विधेयक 2023 पारित कर दिया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा सदन में प्रस्तुत इस विधेयक को लोकसभा ने बिना चर्चा के ये विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिये थे। राज्यसभा ने भी ये विधेयक ध्वनिमत से पारित किये।
केंद्रीय वस्तु और सेवा कर संशोधन विधेयक 2023, केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम 2017 में संशोधन के लिए लाया गया है। एकीकृत वस्तु और सेवा कर संशोधन विधेयक 2023 एकीकृत वस्तु और सेवा कर अधिनियम 2017 में संशोधन करेगा।
केंद्रीय वस्तु और सेवा कर संशोधन विधेयक 2023 ऑनलाइन गेमिंग, ऑनलाइन मनी गेमिंग और वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के बारे में बताता है।
राज्य को अब ये कानून विधानसभा से पास करवाना होगा
संसद से बिल के पास होने के बाद अब राज्य अपने-अपने विधानसभाओं में राज्य जीएसटी कानूनों में संशोधन वाला बिल पारित कराएंगे।
एकीकृत वस्तु और सेवा कर संशोधन विधेयक 2023 का उद्देश्य ऑनलाइन मनी गेमिंग को ऑनलाइन जानकारी और डेटा की पहुंच तथा पुनर्प्राप्ति सेवाओं की परिभाषा से बाहर करना है।
जीएसटी परिषद की पिछले महीने जुलाई में हुई 50वीं बैठक में कैसीनो, हॉर्स रेसिंग और ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत कर लगाने की सिफारिश की गई थी।
संशोधन के बाद अब ऑफशोर संस्थाओं को भारत में जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करना आवश्यक होगा। यह संशोधन, पंजीकरण और टैक्स भुगतान प्रावधानों का पालन करने में विफलता के मामले में विदेशों में स्थित ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों तक पहुंच को अवरुद्ध करने का भी प्रावधान करेगा।
जुलाई के महीने में हुई जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ में प्रवेश स्तर के दांव के फुल फेस वैल्यू पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया था।
इस फैसले के बाद ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी कई कंपनियों ने इस फैसलों से आपत्ति जताई थी जिसके बाद दोबारा जीएसटी काउंसिल की 51वीं बैठक हुई जिसमें 28 प्रतिशत का टैक्स लगाने वाला फैसला बरकरार रखा गया।
इसी समय यह भी निर्णय लिया गया था कि इस कानून के लागू होने के 6 महीने के बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत टैक्स 1 अक्टूबर से लागू होगा।
जीएसटी देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक है। जीएसटी को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था।
इसे 'वन नेशन वन टैक्स' के नारे के साथ पेश किया गया था।
जीएसटी में उत्पाद शुल्क, मूल्यवर्द्धित कर, सेवा कर, विलासिता कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों को सम्मिलित किया गया है।
जीएसटी कर के व्यापक प्रभाव या कर के भार को कम करता जो अंतिम उपभोक्ता पर भारित होता है।
उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि को कवर करने के लिये केंद्रीय जीएसटी।
वैट, लक्ज़री टैक्स आदि को कवर करने के लिये राज्य जीएसटी।
अंतर्राज्यीय व्यापार को कवर करने के लिए एकीकृत जीएसटी (IGST)।
एकीकृत जीएसटी स्वयं एक कर नहीं है बल्कि राज्य और संघ के करों के समन्वय के लिए एक कर प्रणाली है।
इसमें स्लैब के तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिये 4-स्तरीय कर संरचना 5%, 12%, 18% और 28% है।