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अप्रैल में शीर्ष 5 विश्व इस्पात उत्पादकों में केवल भारत ने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की

Utkarsh Classes
Updated: 24 May 2024
4 Min Read

वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के अनुसार, अप्रैल 2024 के दौरान उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि दर्ज करने वाला भारत दुनिया के शीर्ष पांच कच्चे इस्पात उत्पादक देशों में से एकमात्र देश है। भारत, जो दुनिया में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, ने अप्रैल 2023 की तुलना में अप्रैल 2024 में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की।
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2024 में दुनिया का कच्चे स्टील का उत्पादन 155.7 मिलियन टन था, जो अप्रैल 2023 की तुलना में 5.0% कम है।
भारत ने अप्रैल 2024 में 12.1 मिलियन टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो अप्रैल 2023 की तुलना में 3.9 प्रतिशत अधिक है।
दुनिया के सबसे बड़े इस्पात उत्पादक चीन में अप्रैल 2024 में 7.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज के साथ 85.9 मिलियन टन रह गई। चीन के पास अतिरिक्त इस्पात उत्पादन क्षमता है और वह अपनी इस्पात मिलों को चालू रखने के लिए निर्यात पर निर्भर है। हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीनी इस्पात पर आयात पर शुल्क लगाया है जिसके कारण चीनी इस्पात का अमरीका को निर्यात गिर गया है। हालाँकि, बहुत सारे देशों को यह भी डर है कि चीन अब भारत समेत कई और देशो में अपने इस्पात को बहुत काम दाम पर बेचने की कोशिश करेगा ,जिससे इन देशो के इस्पात उद्योग पर बुरा असर हो सकता है।
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक जापान ने अप्रैल 2024 में 2.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.1 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन किया।
चौथे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 6.7 मिलियन टन का उत्पादन किया, जिसमें 2.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
पांचवें सबसे बड़े इस्पात उत्पादक रूस में 5.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और उसका उत्पादन 6.2 मिलियन टन रहा ।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और 2024-25 में भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है।
भारत सरकार द्वारा रेल, सड़क और बंदरगाह क्षेत्रों में बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर जोर देने से देश में इस्पात की भारी मांग बढ़ गई है।
बेहतर सड़क बुनियादी ढांचे के विकास और आर्थिक विकास के कारण देश में कारों, दोपहिया वाहनों और वाणिज्यिक वाहनों की मांग भी बढ़ी है जिसके कारण देश में इस्पात की मांग बढ़ गई है।
भारत के वर्तमान लौह और इस्पात उद्योग की नींव 1875 में रखी गई थी जब कलकत्ता (अब कोलकाता) के पास कुल्टी में एक ब्लास्ट फर्नेस संयंत्र स्थापित किया गया था। कुल्टी प्लांट वर्तमान में इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी (IISCO) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
हालाँकि, भारत का पहला आधुनिक इस्पात संयंत्र स्थापित करने का श्रेय जमशेदजी नुसरवानजी टाटा को जाता है। 1907 में जेम्स्टजी टाटा ने झारखंड के जमशेदपुर में एक स्टील प्लांट के साथ टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) की स्थापना की थी ।
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन, जिसे वर्ल्ड स्टील के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया में इस्पात उद्योग का एक संघ है। यह 1967 में इंटरनेशनल आयरन एंड स्टील इंस्टीट्यूट के रूप में स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन है।
6 अक्टूबर 2008 को इसका नाम बदलकर वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन कर दिया गया।
विश्व इस्पात संघ इस्पात उत्पादकों, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय इस्पात उद्योग संघों और इस्पात अनुसंधान संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक इस्पात उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है।
मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम
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