10 अगस्त 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने प्रमुख नीति रेपो दर में कोई परिवर्तन न करते हुए इसे 6.5 % पर बरकरार रखा । हालाँकि, गवर्नर ने बैंकिंग प्रणाली में 2000 रुपये के नोटों के जमाव के कारण बैंकिंग क्षेत्र में पैदा हुए अतिरिक्त तरलता को सोखने के लिए बैंकों के लिए 10% की वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) की घोषणा की।
जून 2023 में आरबीआई द्वारा घोषित आखिरी द्विमासिक नीति में भी आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था और उस समय भी यह 6.5 %। आरबीआई ने मई 2022 से रेपो रेट में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। 100 आधार अंक 1% के बराबर है।
2023 अगस्त द्विमासिक मौद्रिक नीति के प्रमुख बिंदु
10% का वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर
आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली से अतिरिक्त तरलता निकालने के लिए बैंकों को 19 मई से 28 जुलाई 2023 के बीच उनकी शुद्ध मांग और सावधि जमा देनदारियों (एनडीटीएल) में वृद्धि पर 10% का वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) बनाए रखने का निर्देश दिया है। यह 12 अगस्त 2023 से प्रभावी होगा। आरबीआई ने कहा कि वह सितंबर में आई-सीआरआर की समीक्षा करेगा।
आरबीआई द्वारा आई-सीआरआर लगाने का मुख्य कारण बैंकों की ऋण देने की क्षमता को कम करना है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।
आई-सीआरआर से बाजार से एक लाख करोड़ से 1.5 लाख करोड़ रूपये के निकासी की उम्मीद है। वर्तमान में बाजार में अधिशेष तरलता 2.3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है । बैंकों के पास अधिशेष तरलता होने का एक कारण जनता द्वारा 2000 रुपये वापस बैंक में जमा करना है। 19 मई को आरबीआई ने घोषणा की थी कि वह 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस ले रहा है और जनता को 30 सितंबर 2023 तक बैंक में नोट जमा करने का समय दे रखा है ।
मुद्रास्फीति
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2023-24 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 5.4 प्रतिशत कर दिया है, जबकि जून में इसकी पिछली मौद्रिक नीति बैठक में इसका अनुमान 5.1 प्रतिशत था। मुद्रास्फीति का आंकड़ा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर मापा जाता है।
2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान
आरबीआई ने 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई केअनुसार आगामी संभावित त्रैमासिक विकास दर :
Q1 (अप्रैल-जून) विकास दर 8.0 प्रतिशत;
Q2 (जुलाई-सितंबर) 6.5 प्रतिशत पर;
Q3 (अक्टूबर-दिसंबर) 6.0 प्रतिशत पर; और
Q4 (जनवरी-मार्च) 5.7 प्रतिशत पर।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वर्तमान में भारत का वैश्विक विकास में लगभग 15% योगदान है।
2022-23 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2% थी ।
आरबीआई की नीतिगत दरें
नीतिगत रेपो दर - 6.5% (कोई बदलाव नहीं)। इसे ओवरनाइट रेपो दर भी कहा जाता है कहा जाता है। यह वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को 24 घंटे ऋण प्रदान करता है।
निश्चित रिवर्स रेपो दर - 3.35% (कोई बदलाव नहीं)। यह वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों से अल्पकालिक (24 घंटे) के लिए जमा स्वीकार करता है।
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) -6.25% (कोई परिवर्तन नहीं)। यह एक ऐसी सुविधा है जहां आरबीआई बैंकों से अल्पावधि (24 घंटे) के लिए जमा स्वीकार करता है। यह नीतिगत रेपो दर से हमेशा 0.25% कम होता है।
नीतिगत रेपो दर और एसडीएफ के बीच मुख्य अंतर यह है कि जब आरबीआई रेपो के तहत बैंकों से जमा स्वीकार करता है तो उसे बैंक को सरकारी प्रतिभूति (बॉन्ड) के रूप में संपार्श्विक प्रदान करना होता है। एसडीएफ में आरबीआई बैंकों को कोई संपार्श्विक प्रदान नहीं करता है।
सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ)- 6.75% (कोई परिवर्तन नहीं)। यह नीतिगत रेपो दर से हमेशा 0.25%ज़्यादा रहता है।
बैंक दर - 6.75% (कोई बदलाव नहीं)। यह वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को दीर्घकालिक ऋण प्रदान करता है। आरबीआई द्वारा बैंक दर और सीमांत स्थायी सुविधा को हमेशा समान रखा जाता है।
आरक्षित अनुपात
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)- 4.50% बैंकों को अपनी शुद्ध समय और मांग जमा देनदारियों (एनडीटीएल) का एक निश्चित प्रतिशत नकदी के रूप में आरबीआई के पास रखना होता है जिसे सीआरआर कहा जाता है।
वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर)- 18% (कोई परिवर्तन नहीं)। बैंकों को अपनी शुद्ध समय और मांग जमा देनदारियों (एनडीटीएल) का एक निश्चित प्रतिशत नकदी, सोना या अनुमोदित सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में अपने पास रखना होता है।
मौद्रिक नीति समिति क्या है?
संशोधित आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45ZB के तहत, केंद्र सरकार को मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करने के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन करने का अधिकार है।
इस तरह का पहला एमपीसी 29 सितंबर 2016 को गठित किया गया था।
आरबीआई अधिनियम के अनुसार, एमपीसी को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम चार बार मिलना चाहिए।
एमपीसी के सदस्य
6 सदस्यों में से तीन आरबीआई से और तीन प्रख्यात अर्थशास्त्री होते हैं।
आरबीआई के सदस्य
शक्तिकांत दास (आरबीआई के गवर्नर), डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा (आरबीआई के डिप्टी गवर्नर), राजीवरंजन (आरबीआई के कार्यकारी निदेशक)
प्रख्यात अर्थशास्त्री :
डॉ.जयंत वर्मा, डॉ.आशिमा गोयल और डॉ.शशांक भिड़े,
एमपीसी के अध्यक्ष
एमपीसी का अध्यक्ष आरबीआई गवर्नर होता है।
परीक्षा में महत्वपूर्ण फुल फॉर्म
सीआरआर/CRR : कैश रिज़र्व रेश्यो (Cash Reserve Ratio),
एसएलआर/SLR : स्टेटच्युरी लिक्विडिटी रेश्यो (Statutory Liquidity Ratio),
एमएसएफ/MSF : मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (Marginal Standing Facility),
एसडीएफ/SDF : स्टैंडिंग डिपाजिट फैसिलिटी (Standing Deposit Facility),
एमपीसी/MPC : मोनेटरी पालिसी कमेटी (Monetary Policy Committee),
एनडीटीएल/NDTL :नेट टाइम और डिमांड डिपॉजिट लायबिलिटीज(Net Demand and Time Deposit Liabilities ).