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राष्ट्रपति मुर्मू ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को 51वें सीजेआई के रूप में शपथ दिलाई
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Updated: 11 Nov 2024
3 Min Read
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को 11 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरू द्वारा भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हो गए थे।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
भारत के संविधान में भारत के मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों के कार्यकाल का उल्लेख नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 124(2) में प्रावधान है कि वे 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश भारत के राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र संबोधित करके इस्तीफा दे सकते हैं।
संसद द्वारा विशेष बहुमत से उन्हें हटाने का प्रस्ताव पारित करने के बाद राष्ट्रपति उन्हें उनके पद से हटा भी सकते हैं।
इस प्रकार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे, जब वह 65 वर्ष के होंगे।
संविधान के अनुच्छेद 124(2) में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का उल्लेख है।
संविधान राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों (मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों) की नियुक्ति का अधिकार देता है।
संविधान के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश का चयन करते समय राष्ट्रपति निन्म्लिखित लोगों से परामर्श कर सकते है;
परंपरा के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
भारत में अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा शुरू कर जाती
है। मंत्रालय ,सबसे पहले भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश से संपर्क कर भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए उसकी सिफारिश मांगता है।
परंपरा के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश मंत्रालय को सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करते हैं।
इसके बाद मंत्रालय अनुशंसित नाम प्रधानमंत्री को भेजता है।
प्रधान मंत्री राष्ट्रपति को अनुशंसित न्यायाधीश को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सलाह देते हैं, और फिर राष्ट्रपति इस आशय की एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करते हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने 1983 में नई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्हें 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना को सर्वोच्च न्यायालय का जज नियुक्त किया गया।
28 जनवरी 1950 को, भारत का सर्वोच्च न्यायालय औपचारिक रूप से संघीय न्यायालय के स्थान पर अस्तित्व में आया, जिसे भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत स्थापित किया गया था।
हरिलाल जे. कानिया भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश थे।
भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, भारत के सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्य न्यायाधीश हैं। वह 7 वर्षों से अधिक (फरवरी 1978 - जुलाई 1985) तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे।
भारत के 22वें मुख्य न्यायाधीश, कमल नारायण सिंह, सबसे कम समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं। वह 17 दिनों (25 नवंबर 1991 - 12 दिसंबर 1991) के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे।
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