केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने ओजू जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी देने की अपनी सिफ़ारिश दे दी है। यह परियोजना चीन सीमा के पास, अरुणाचल प्रदेश के ताकसिंग में सुबनसिरी नदी पर 2,220 मेगावॉट की है।
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने चीन सीमा के पास, अरुणाचल प्रदेश के ताकसिंग में सुबनसिरी नदी पर स्थित 2,220 मेगावॉट की ओजू जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी देने की अपनी सिफ़ारिश दे दी है।
- परियोजना की पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट के अनुसार, सुबनसिरी बेसिन में कई अन्य प्रस्तावित जलविद्युत योजनाएँ हैं - नियारे, नाबा, नालो, डेंगसेर, ऊपरी सुबनसिरी और निचला सुबनसिरी।
- 12 सितंबर को हुई बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, ईएसी ने उल्लेख किया कि सुबनसिरी बेसिन अध्ययनों को 2014 में अंतिम रूप दिया गया था और उनमें दी गई जानकारी एक दशक से भी ज़्यादा पुरानी थी।
- यह परियोजना ऊपरी सुबनसिरी के ताकसिंग ब्लॉक में रेडी गाँव से लगभग पाँच किलोमीटर नीचे की ओर प्रस्तावित है और इसका निर्माण ओजू सुबनसिरी हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।
- प्राथमिक बिजलीघर को 2,100 मेगावॉट बिजली उत्पादन के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें एक बाँध-टो स्टेशन से 120 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली उत्पादन होगा।
सुबनसिरी नदी
- उद्गम: तिब्बत में उत्पन्न होती है और ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- यह एक ट्रांस-हिमालयी पूर्ववर्ती नदी है।
- मार्ग: भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, असम में बहती है और ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। इस नदी को इसके जल में पाए जाने वाले सोने के चूर्ण के कारण "स्वर्ण नदी" भी कहा जाता है।
सावलकोट जलविद्युत परियोजना
- पहलगाम आतंकी हमले (2025) के बाद सिंधु जल संधि (IWT) के निलंबन के पश्चात् चिनाब नदी पर लंबित सावलकोट जलविद्युत परियोजना को जम्मू-कश्मीर (J&K) के लिए रणनीतिक और ऊर्जा महत्त्व की परियोजना मानते हुए तीव्र गति से मंज़ूरी प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
- सावलकोट जलविद्युत परियोजना: यह 1,856 मेगावॉट की "रन-ऑफ-द-रिवर" (जिसमें नदी के प्राकृतिक प्रवाह का उपयोग किया जाता है और बहुत कम या नगण्य जल भंडारण होता है) जलविद्युत परियोजना है, जो जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में चिनाब नदी (IWT के अंतर्गत पश्चिमी नदी) पर स्थित है।
- इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 1984 में हुई थी और वर्षों से यह कई तरह की देरी का सामना करती रही है इसे राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजना घोषित किया गया है, जिसमें एक कंक्रीट ग्रेविटी डैम और जलाशय का निर्माण शामिल है।
- परियोजना शुरू होने के बाद सावलकोट से प्रतिवर्ष 7,000 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली उत्पादन होने की उम्मीद है, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक बन जाएगी।
तातो-I और हीओ जलविद्युत परियोजनाएँ
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 5,125.37 करोड़ रुपये की लागत वाली कई प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का अनावरण किया, जो क्षेत्रीय विकास और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम का संकेत है।
- इन प्रमुख परियोजनाओं में शि योमी जिले में दो बड़े पैमाने की जलविद्युत परियोजनाएँ शामिल हैं। 186 मेगावॉट क्षमता और 1,750 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली तातो-I जलविद्युत परियोजना का विकास अरुणाचल प्रदेश सरकार और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नीपको) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
- इससे सालाना लगभग 802 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन होने का अनुमान है। 1,939 करोड़ रुपये की लागत वाली 240 मेगावॉट की हीओ परियोजना भी राज्य सरकार और नीपको के बीच एक सहयोग परियोजना है और इससे प्रति वर्ष लगभग 1,000 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन होने की उम्मीद है।
- मोदी ने तवांग में एक कन्वेंशन सेंटर की आधारशिला भी रखी, जिसे पीएम-देवाइन योजना के तहत 145.37 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। 1,500 से अधिक लोगों की क्षमता वाला यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करेगा और इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना है।