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Updated: 19 Aug 2023
4 Min Read
18 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में उत्तरी भारत के राज्यों के पशुपालन और डेयरी विभाग के उच्च अधिकारीयों के साथ एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक के दौरान ज्ञात हुआ कि पशुधन क्षेत्र 2014-15 से 2021-22 के दौरान (स्थिर मूल्यों पर) लगातार 7.67% की उच्च मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ता रहा है।
यह बैठक अल्का उपाध्याय (केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी सचिव, भारत सरकार) की अध्यक्षता में उत्तरी भारत के राज्यों के पशुपालन और डेयरी विभाग के उच्च अधिकारीयों के साथ की गई थी।
नई दिल्ली में हुई बैठक में विभाग के कार्यक्रमों/योजनाओं के क्रियान्वयन में हुई प्रगति को लेकर विचार विमर्श किया गया। समीक्षा बैठक में पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार के अपर सचिव, पशुपालन आयुक्त, संयुक्त सचिवों, मुख्य लेखा नियंत्रक, सलाहकार (सांख्यिकी) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2021-22 में समूचे कृषि और संबंधित क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में (स्थिर मूल्यों पर) 30.19 प्रतिशत के आसपास योगदान किया है।
केन्द्रीय सचिव ने बैठक में भारत सरकार द्वारा राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में अमल में लाई जा रही सभी पशुपालन और डेयरी योजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा की।
उन्होंने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के पास बकाया पड़ी राशि को खर्च करने पर जोर दिया। केन्द्रीय सचिव ने पुराने डेटा उन्नयन, भारतकोष के जरिये भुगतान पर ब्याज आदि से जुड़े मुद्दों का समाधान प्राथमिकता के साथ करने पर भी जोर दिया ताकि राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को भारत सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान कोष जारी कर सके।
देशभर में पशुओं में खुर पका-मुंह पका (एफएमडी) और ब्रुसेल्ला बीमारी से बचाव के टीकाकरण, चलती-फिरती पशु-चिकित्सा इकाई (एमवीयूएस), दूध और चारे की स्थिति आदि को लेकर भी समीक्षा की।
स्वास्थ्य सेवा प्रावधानों के जरिये पशुधन की देखभाल और सुरक्षा भी विभाग के लिये गौर करने का विषय है। उन्होंने राज्यों को एफएमडी, ब्रुसेल्ला और पीपीआर टीकाकरण तेज करने की सलाह दी। उन्होंने पशुधन और डेयरी किसानों को योजनाओं का लाभ बेहतर ढंग से बताने के लिये केन्द्र के साथ साथ राज्य सरकारों और जिला अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया।
पशुपालन पुरातनकाल से ही भारत में कृषि का एक अभिन्न अंग रहा है और वर्तमान में भी प्रासंगिक है क्योंकि समाज का एक बड़ा वर्ग सक्रिय रूप से कृषि कार्य में संलग्न एवं इस पर निर्भर है।
भारत का पशुधन क्षेत्र वर्ष 2014-15 से 2020-21 (स्थिर कीमतों पर) के दौरान 7.9% की CAGR दर से बढ़ा और कुल कृषि स्थिर कीमतों पर में इसका योगदान वर्ष 2014-15 के 24.3% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 30.1% हो गया।
भारत में दुग्ध सबसे बड़ा एकल कृषि उत्पाद है। इसका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान है और यह 80 मिलियन डेयरी किसानों को रोज़गार प्रदान करता है।
फरवरी 2023 में ICAR ने पशुधन प्रजातियों की 10 नई नस्लों को पंजीकृत किया है। इससे जनवरी 2023 तक देशी नस्लों की कुल संख्या 212 हो गई है।
कथानी मवेशी (महाराष्ट्र)
सांचोरी मवेशी (राजस्थान)
मासिलम मवेशी (मेघालय)
पूर्णाथाड़ी भैंस (महाराष्ट्र)
सोजत बकरी (राजस्थान)
करौली बकरी (राजस्थान)
गुजरी बकरी (राजस्थान)।
बाँदा सुअर (झारखंड)
मणिपुरी काला सुअर (मणिपुर) और
वाक चंबिल सुअर (मेघालय)।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन: इस योजना को वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए पुनर्गठित किया गया है।
यह योजना उद्यमिता विकास और चारा विकास सहित मुर्गी पालन, भेड़, बकरी और सुअर पालन में नस्ल सुधार पर केंद्रित है।
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना: यह टीकाकरण द्वारा आर्थिक और ज़ूनोटिक महत्त्व के पशुओं में रोगों की रोकथाम, नियंत्रण तथा इस दिशा में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों के प्रयासों को बल प्रदान करने हेतु कार्यान्वित की जा रही है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम: इसे खुरपका और मुँहपका रोग एवं ब्रूसेलोसिस के विरुद्ध मवेशियों, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी तथा ब्रुसेलोसिस के विरुद्ध 4-8 माह के मादा गौजातीय बछड़ों का पूरी तरह से टीकाकरण करने हेतु लागू किया जा रहा है।
पशुपालन अवसंरचना विकास कोष: इसके तहत केंद्र सरकार उधारकर्त्ता को 3% की ब्याज सहायता और कुल उधार के 25% तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करती है।
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