17 अगस्त 2023 को गांधीनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर पहली ग्लोबल समिट का उद्धाटन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महासचिव डॉ. ट्रेडोस एडनोम गेब्रेयेसस ने किया।
अपने संबोधन में डब्ल्यूएचओ के महासचिव डॉ. ट्रेडोस ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक पहल की तारीफ की और कहा कि हम पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा के जरिए दुनिया को स्वस्थ बना सकते हैं।
आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ की मेजबानी में इस दो दिवसीय (17-18 अगस्त) सम्मेलन में देश विदेश के वैज्ञानिक, चिकित्सा विशेषज्ञ और सिविल सोसाइटी के सदस्य परंपरागत चिकित्सा के तमाम पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं।
गांधीनगर के इस शिखर सम्मेलन में 75 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि और अनेक देशों के स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहे हैं।
अपने संबोधन में डॉ. ट्रेडोस ने खास तौर पर भारत के घर-घर में पूजी जाने वाली तुलसी का जिक्र किया। उन्होंने तुलसी के गुणों का वर्णन करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का अवसर प्राप्त हुआ।
पारंपरिक औषधियों की फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उद्योग में काफी मांग है। विश्व के 170 से भी अधिक देशों में इन औषधियों का किसी न किसी रूप में उपयोग हो रहा है।
विश्व के पहले पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन के पहले दिन ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़ी फिल्म और वृत्त चित्र भी दिखाये गये। इन फिल्मों में देश-दुनिया के अलग अलग कोने में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को दिखाया गया।
सम्मेलन के प्रथम दिन ही एक विशेष डिजिटल प्रदर्शनी का भी उद्घाटन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष टेडरॉस, केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मांडविया एवं केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई ने किया। इसमें पारंपरिक चिकित्सा के तमाम रूपों को दर्शाया गया है।
प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बिंदु बना पौराणिक कल्प वृक्ष का आधुनिक रूप। कल्पवृक्ष के जरिए संदेश देना चाह रहे हैं कि जिस तरह से कल्पवृक्ष इंसान की हर मनोकामना को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता है, उसी तरह पारंपरिक चिकित्सा पद्धति इंसान को हर तरह की रोग व्याधि से बचा सकती है।
पुर्णतः डिजिटल इस प्रदर्शनी में विश्व स्वास्थ्य संगठन के छह क्षेत्रीय कार्यालयों ने भाग लिया है और आयुष मंत्रालय ने भी अपनी उपलब्धियों को दर्शाया है।
गत वर्ष गुजरात के जामनगर में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के बाद अब भारत में ही पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि है।