केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय सेना के लिए प्रलय सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजिमेंट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
प्रलय सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल 150-500 किमी तक लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है।
- इस सन्दर्भ में इससे संबंधित अधिकारियों ने कहा कि प्रलय मिसाइलों का वर्तमान में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है और शीघ्र ही परिचालन सेवा के लिए तैयार होने की उम्मीद है।
- यह पहली बार है कि किसी बैलिस्टिक मिसाइल को पारंपरिक संचालन के लिए सेवाओं में शामिल किया जाएगा।
- प्रलय मिसाइलों को चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर तैनात किया जाएगा।
- इन मिसाइलों का अधिग्रहण एक रणनीतिक रॉकेट बल विकसित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, इसकी सिफारिश प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने की थी।
- इस घटनाक्रम की जानकारी नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की हालिया टिप्पणी के बाद आया है, जिन्होंने कहा था कि जनरल बिपिन रावत सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए एक रॉकेट फोर्स के निर्माण पर कार्य कर रहे थे।
- प्रलय मिसाइलों का पिछले वर्ष दिसंबर 2022 में लगातार दो दिनों में मिसाइल का दो बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था, और सेनाएं तब से इसके अधिग्रहण और शामिल करने की दिशा में काम कर रही हैं।
प्रलय मिसाइल:
- यह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित कम दूरी की सतह से हवा (SR-SAM) में मार करने वाली मिसाइल है।
- इस मिसाइल प्रणाली पर वर्ष 2015 के आसपास कार्य आरंभ हुआ था।
- इस मिसाइल को सेना की मांग के अनुसार किसकी मारक क्षमता को और भी बढाया जा सकता है।
- डीआरडीओ द्वारा इसे इस तरह से विकसित किया गया है कि यह इंटरसेप्टर मिसाइल को भी चकमा देने में सक्षम है।
- 'प्रलय' हवा में कुछ दूरी तय करने के बाद अपना मार्ग परिवर्तन करने में भी सक्षम है। इसमें ठोस-प्रणोदक रॉकेट मोटर के साथ ही अन्य अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है।
- इन नवीन प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित प्रलय मिसाइलों से भारतीय सेना की आक्रामक क्षमताओं को पर्याप्त बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है।
- प्रलय मिसाइल की टर्मिनल फेज में स्पीड 1200 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। लेकिन यह बढ़कर 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा तक जा सकती है। अर्थात यह हवा से लक्ष्य पर गिरते समय इसकी गति अधिक हो जाती है। क्योंकि उस समय गुरुत्वाकर्षण काम करने लगता है।
- चीन और पाकिस्तान की सीमा पर इस मिसाइल की तैनाती से भारत दोनों देशों पर अंकुश लगा सकेंगे।
भारत के पड़ोसी इन सुविधाओं से लैस:
- चीन के पास इस तरह की डोंगफेंग-12 मिसाइल है। जबकि, पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 (चीन से प्राप्त) और शाहीन मिसाइल है।
- कम रेंज का लाभ यह है कि यह सीमा के पास दुश्मन के अड्डों को काफी कम समय में ही नष्ट कर सकती है।
परीक्षा के लिए प्रमुख फुल फॉर्म:
- एसआर-एसएएम (SR-SAM): शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (Short Range Surface to Air Missile).