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परीक्षा में अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए सख्त केंद्रीय कानून लागू

Utkarsh Classes Last Updated 22-06-2024
Tough central law to curb irregularities in exam comes into force Bill and Act 4 min read

भारत सरकार ने कड़े सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 को अधिसूचित कर कानून को  21 जून 2024 से लागू कर दिया है । कानून का उद्देश्य विभिन्न सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्रो के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं के खतरे को रोकना है। 

यूजीसी-नेट और स्नातक एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) मेडिकल परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक के मद्देनजर कानून की अधिसूचना महत्वपूर्ण हो जाती है।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024, फरवरी में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को इस विधेयक पर अपनी सहमति दे दी, जिससे यह कानून में बदल गया। 

इस कानून का उद्देश्य संघ लोक सेवा आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए), और बैंकिंग भर्ती परीक्षा निकायों सहित अन्य द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 का दंडात्मक प्रावधान

  • इस अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय बनाया गया है। 
  • इस अधिनियम के तहत अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल की कैद की सजा , जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है का प्रावधान है। इसके अलावा दस लाख रुपये तक के आर्थिक दंड का भी प्रावधान है। जुर्माने का भुगतान न करने की स्थिति में, भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार अभियुक्त कारावास की अतिरिक्त सजा दी जा सकती है । कानून यह भी प्रावधान करता है कि जब तक भारतीय न्याय संहिता, 2023 को लागू किया नहीं किया जाता तब तक भारतीय दंड संहिता के प्रावधान, लागू होंगे।
  • इस कानून के अनुसार सेवा प्रदाता को एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाकर दंडित किया जा सकता है और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी ऐसे सेवा प्रदाता से वसूली जाएगी। इसके अलावा ,सेवा प्रदाता को अगले  चार साल की अवधि तक किसी भी सार्वजनिक परीक्षा को आयोजित करने पर रोक होगा।
  • यदि निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन या सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्ति कदाचार के दोषी हैं तो उन्हें कम से कम तीन साल की कैद की सजा होगी, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और एक करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

जांच अधिकारी 

  • अधिनियम के अनुसार कदाचार के कथित मामलों की जांच पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर से नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी। 
  • केंद्र सरकार के पास ऐसे कदाचार की जांच किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपने की शक्ति है।

FAQ

उत्तर: सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024।

उत्तर: तीन साल की जेल जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और 10 लाख रुपये तक आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है।

उत्तर: पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त या उससे ऊपर के पद के अधिकारी द्वारा।

उत्तर: एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना और चार साल की अवधि के लिए कोई भी सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने पर प्रतिबंध।
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