भारत चीनी समुद्री गतिविधियों के बीच हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए मॉरीशस ने चागोस द्वीपसमूह में डिएगो गार्सिया के पास एक उपग्रह ट्रैकिंग और संचार स्टेशन स्थापित करेगा।
- भारत और मॉरीशस ने चागोस द्वीपसमूह में अमेरिका-ब्रिटिश सैन्य अड्डे डिएगो गार्सिया के पास एक उपग्रह ट्रैकिंग और संचार स्टेशन स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- यह कदम बढ़ती चीनी समुद्री गतिविधियों के बीच हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाता है।
- मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित यह समझौता भारत को इस सुविधा का उपयोग करके अपने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों से डेटा ट्रैक करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
- यह स्टेशन न केवल उपग्रहों से डेटा ट्रैक करने और प्राप्त करने में मदद करेगा, बल्कि भारत के लिए एक रणनीतिक संपत्ति भी बनेगा। दोनों पक्षों ने मॉरीशस के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में जल सर्वेक्षण के लिए भारत के समर्थन हेतु एक समझौते को भी नवीनीकृत किया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस कदम को एक "ऐतिहासिक मील का पत्थर" बताया और उपनिवेशवाद-विरोध और क्षेत्रीय सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
पोर्ट लुई
- इस साल की शुरुआत में, नई दिल्ली और पोर्ट लुई ने उपयोग बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
- मॉरीशस की यात्रा पर मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल ने भारत-मॉरीशस साझेदारी में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए श्री मोदी को ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार से सम्मानित किया।
- मॉरीशस में अटल बिहारी वाजपेयी लोक सेवा एवं नवाचार संस्थान का उद्घाटन किया। यह शिक्षण, अनुसंधान और लोक सेवा के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
चागोस और डिएगो गार्सिया क्यों महत्त्वपूर्ण हैं
- चागोस द्वीप समूह पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के बीच रणनीतिक रूप से स्थित है। डिएगो गार्सिया में एक प्रमुख अमेरिकी-ब्रिटिश नौसैनिक और वायु सेना अड्डा है, जिसका उपयोग इराक, अफगानिस्तान और खाड़ी में अभियानों में किया जाता है।
चागोस द्वीप समूह
- मूल रूप से मॉरीशस का हिस्सा था। हालाँकि, मॉरीशस को यूनाइटेड किंगडम के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने से ठीक तीन साल पहले, 1965 में लंदन ने इस द्वीपसमूह को अलग कर दिया था।
- ब्रिटेन ने संयुक्त ब्रिटिश-अमेरिकी सैन्य अड्डे के निर्माण और संचालन के लिए, द्वीपों में सबसे बड़े डिएगो गार्सिया को संयुक्त राज्य अमेरिका को पट्टे पर दे दिया था।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने वर्ष 2019 में फैसला सुनाया कि चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन का नियंत्रण अवैध था और द्वीपसमूह को मॉरीशस को वापस कर दिया जाना चाहिए। ब्रिटेन अक्टूबर, 2024 में चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को वापस करने पर सहमत हो गया।
- मॉरीशस-ब्रिटेन समझौते से हिंद महासागर में चीन की बढ़त को लेकर वॉशिंगटन डी.सी. में चिंता के कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई। लंदन और पोर्ट लुई ने अंततः 22 मई, 2025 को हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें यह शर्त थी कि डिएगो गार्सिया द्वीप कम से कम 99 वर्षों के लिए ब्रिटेन को वापस पट्टे पर दिया जाएगा, ताकि ब्रिटिश-अमेरिकी संयुक्त सैन्य अड्डा चालू रह सके।