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भारत ने जैव-अर्थव्यवस्था नवाचार अभियान के साथ विश्व जैव-उत्पाद दिवस मनाया
Utkarsh Classes
Updated: 08 Jul 2025
3 Min Read
भारत सरकार ने 7 जुलाई, 2025 को विश्व जैव उत्पाद दिवस के अवसर पर एक अनूठा जैव अर्थव्यवस्था नवाचार अभियान का आयोजन किया। विश्व जैव उत्पाद दिवस के राष्ट्रव्यापी समारोह का शुभारंभ केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में एक समारोह में किया।
इस समारोह का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और इसकी एजेंसियों, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (आईबीआरआईसी+) द्वारा किया गया था।
डीएसटी, बीआईआरएसी और आईब्रिक+ ने देश के आठ शहरों में स्थित आठ चयनित संस्थानों में आठ घंटे का एक नया प्रयोग - 'शहरों में आवाज़ें: एक समन्वित राष्ट्रीय प्रति घंटा संवाद श्रृंखला'' आयोजित किया।
इन संस्थानों ने तटीय बायोमास और समुद्री जैव उत्पाद, उद्योग-अकादमिक भागीदारी, कृषि-अवशेषों से जैव उत्पाद, एंजाइम: जैव उत्पाद अर्थव्यवस्था के प्रमुख प्रवर्तक, नृवंशविज्ञान और वन-आधारित जैव उत्पाद आदि जैसे विषयों पर आधारित चर्चाओं की मेजबानी पर हाइब्रिड मोड में की।
इसका उद्देश्य 2030 तक 300 बिलियन डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में जनता की भागीदारी को करने का एक प्रयास था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 300 बिलियन डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की हाल ही में शुरू की गई बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति पर भी प्रकाश डाला।
वर्ष 2021 से हर साल 7 जुलाई को विश्व जैव उत्पाद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व जैव अर्थव्यवस्था मंच ने दैनिक जीवन में जैव उत्पादों के महत्व और पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु कार्रवाई के व्यापक लक्ष्य में उनके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व जैव उत्पाद दिवस की शुरुआत की।
पहला विश्व जैव उत्पाद दिवस 7 जुलाई 2021 को मनाया गया था।
जैव-उत्पाद से तात्पर्य उन औद्योगिक सामान, खाद्य और ऊर्जा उत्पादों से है जो नवीकरणीय जैविक संसाधनों, जैसे पौधों और शैवाल से प्राप्त होते हैं।
जैव- उत्पादों का जीवाश्म आधारित उत्पादों के विपरीत पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है और ये सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।
जैव उत्पाद दो प्रकार के होते हैं- पारंपरिक और उभरते हुए।
पारंपरिक जैव उत्पाद में लकड़ी, कागज, लुगदी और निर्माण सामग्री आदि आते हैं । उभरते हुए बायोप्रोडक्ट्स में जैव ईधन। जैव ऊर्जा,जैव प्लास्टिक्स, जैव रसायन आदि शामिल हैं।
जैव अर्थव्यवस्था से तात्पर्य नवीकरणीय जैविक संसाधनों का उपयोग करके वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से है। आधुनिक जैव अर्थव्यवस्था में जैव प्रौद्योगिकी द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।
जैव प्रौद्योगिकी एक बहु-विषयक अनुशासन है जो विभिन्न उत्पादों को विकसित करने और उत्पादन करने के लिए जैविक प्रणालियों, जीवित जीवों या जीवित जीवों के भागों का उपयोग करता है।
जैव प्रौद्योगिकी में आनुवंशिकी, जैव रसायन, आणविक जीव विज्ञान, जीनोमिक्स, नैनो प्रौद्योगिकी और सूचना विज्ञान सहित विभिन्न विषय शामिल हैं।
आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के तहत कृषि (आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधों, जैव ईंधन का विकास), चिकित्सा (नई दवाओं और उपचारों का विकास), और औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी (रसायनों, कागज, वस्त्र और भोजन का उत्पादन) में नई प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का विकास किया है।
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