- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में हेपेटाइटिस D को कैंसरकारी के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने की घोषणा की है, जिससे वायरल हेपेटाइटिस, जो एक बढ़ता हुआ सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है, की रोकथाम की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- यह कम ज्ञात वायरस चुपचाप लिवर कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
- WHO के महानिदेशक, एमडी, टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने कहा, "हर 30 सेकंड में, हेपेटाइटिस से संबंधित गंभीर लिवर रोग या लिवर कैंसर से एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।"
- WHO की यह घोषणा इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) द्वारा हेपेटाइटिस D को कार्सिनोजेनिक के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने के बाद आई है, जिसकी पुष्टि 'द लैंसेट ऑन्कोलॉजी' में प्रकाशित एक अध्ययन के आँकड़ों से होती है।
- हेपेटाइटिस D एक अक्षम वायरस है, जिसे प्रतिकृति के लिए हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) की आवश्यकता होती है।
- इसका अर्थ है कि हेपेटाइटिस D केवल उन्हीं लोगों को प्रभावित करता है जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस B एक साथ या क्रमिक रूप से हो चुका है।
- यह वायरस संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित इंजेक्शन या कभी-कभी जन्म के दौरान माँ से बच्चे में फैलता है।
- अगर लक्षण दिखाई भी देते हैं, तो आमतौर पर अस्पष्ट होते हैं और इनमें थकान, मतली, पेट में तकलीफ, गहरे रंग का पेशाब या त्वचा का पीला पड़ना शामिल है।
- हेपेटाइटिस D के लिए कोई अलग टीका नहीं है। इसे रोकने का एकमात्र तरीका हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना है, जो दोनों वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि अब 147 देश नवजात शिशुओं के लिए टीकाकरण की सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन मौजूदा मामलों की जाँच और उपचार अभी भी बहुत पीछे हैं।
हेपेटाइटिस वायरस के बारे में
- वायरल हेपेटाइटिस (प्रकार A, B, C, D और E) तीव्र यकृत संक्रमण के प्रमुख कारण हैं।
- हालाँकि केवल हेपेटाइटिस B, C और D ही दीर्घकालिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जिनसे यकृत सिरोसिस, विफलता या कैंसर का खतरा अधिक होता है।
- हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा विश्व स्तर पर शीर्ष 10 कैंसर में से एक है। भारत के राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (2018) का लक्ष्य सतत विकास लक्ष्य 3.3 के अनुरूप 2030 तक हेपेटाइटिस C का उन्मूलन करना और अन्य प्रकारों से होने वाली मौतों को कम करना है।
- HIV वायरल हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमणों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र रणनीति (2022-2030) का उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस को एक जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करना है।