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Utkarsh Classes
Updated: 11 Sep 2023
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उत्तर प्रदेश राज्य के 19 शहरी केंद्रों में पीएम ई-बस योजना के तहत 10,000 में से 1,850 ई-बसें चलाने का लक्ष्य बना रहा है।
इन शहरों में लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, आगरा, झाँसी, वाराणसी, मेरठ, प्रयागराज, बरेली, अलीगढ, मुरादाबाद, अयोध्या, शाहजहाँपुर, मथुरा, रामपुर और सहारनपुर शामिल हैं।
इस संबंध में यूपी शहरी विकास मंत्रालय एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत के शहरी केंद्रों में पीपीपी मॉडल के माध्यम से स्वच्छ और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना होगा।
कैबिनेट ने पिछले महीने "पीएम-ई-बस-सेवा" नामक एक बस योजना को मंजूरी दी, जिसके तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी।
इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को अपने 2021-22 के बजट भाषण में की थी।
यह योजना 10 वर्षों तक बस संचालन का समर्थन करेगी।
यह योजना 3 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को कवर करेगी।
पहुंच से वंचित तक पहुंच बनाना: यह योजना 2011 की जनगणना के अनुसार तीन लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों को कवर करेगी, जिसमें केंद्रशासित प्रदेशों, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों की सभी राजधानी शामिल हैं। इस योजना के तहत उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां कोई सुव्यवस्थित बस सेवा उपलब्ध नहीं है।
प्रत्यक्ष रोजगार सृजन: इस योजना के तहत, सिटी बस संचालन में लगभग 10,000 बसें चलाई जाएंगी, जिससे 45,000 से 55,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।
ई-मोबिलिटी को बढ़ावा: यह योजना ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देगी और बिहाइंड द मीटर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पूर्ण सहायता प्रदान करेगी।
शहरों को ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत चार्जिंग सुविधाओं के विकास के लिए भी समर्थन दिया जाएगा।
बस की प्राथमिकता वाले बुनियादी सुविधाओं के समर्थन से न केवल अत्याधुनिक, ऊर्जा कुशल इलेक्ट्रिक बसों के प्रसार में तेजी आएगी, बल्कि ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सशक्त आपूर्ति श्रृंखला के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना में ई-बसों का समूह तैयार करने को लेकर इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्था को भी अनुकूल बनाने की जरूरत होगी।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने से ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होगा और कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगेगा।
बस-आधारित सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ने के कारण जो बदलाव आएगा, उससे ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी आएगी।
खंड ए - सिटी बस सेवाओं का विस्तार:(169 शहर)
स्वीकृत बस योजना के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर 10,000 ई-बसों के साथ सिटी बस संचालन का विस्तार किया जाएगा।
इससे जुड़ी बुनियादी संरचना से डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास/उन्नयन के लिए सहायता मिलेगी; और ई-बसों के लिए बिहाइंड द मीटर विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर (सबस्टेशन, आदि) का निर्माण संभव होगा।
खंड बी- ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल (जीयूएमआई): (181 शहर)
इस योजना में बस की प्राथमिकता, बुनियादी सुविधा, मल्टीमॉडल इंटरचेंज सुविधाएं, एनसीएमसी-आधारित स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली, चार्जिंग हेतु बुनियादी सुविधाएं आदि जैसी हरित पहल की परिकल्पना की गई है।
योजना के तहत, राज्य अथवा नगर इन बस सेवाओं के संचालन और बस ऑपरेटरों को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। केंद्र सरकार प्रस्तावित योजना में निर्दिष्ट सीमा तक सब्सिडी प्रदान करके इन बस संचालन का समर्थन करेगी।
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