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कैबिनेट ने महाराष्ट्र के वधावन में एक ग्रीनफील्ड प्रमुख बंदरगाह को हरी झंडी दी

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Cabinet green signals a greenfield major port at Vadhavan, Maharashtra Transport 5 min read

भारत सरकार ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहानू तालुका में स्थित वधावन में एक नए प्रमुख बंदरगाह के निर्माण को मंजूरी दे दी है।इस परियोजना को मंजूरी 19 जून 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दी गई । वधावन बंदरगाह का निर्माण विकास, पीएम गतिशक्ति कार्यक्रम पीएम गति शक्ति कार्यक्रम के उद्देश्यों के साथ संरेखित है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वधावन बंदरगाह और राष्ट्रीय राजमार्गों के बीच सड़क संपर्क स्थापित करने और मौजूदा रेल नेटवर्क और आगामी समर्पित रेल फ्रेट कॉरिडोर के लिए रेल लिंकेज स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।

वधावन बंदरगाह के विकासकर्ता 

प्रस्तावित सभी मौसम के लिए उपयुक्त ग्रीनफील्ड वधावन बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा डीप ड्राफ्ट बंदरगाह होगा। इसका निर्माण वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (वीपीपीएल) द्वारा किया जाएगा। 

वीपीपीएल जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा स्थापित एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है।

एसपीवी में जेएनपीए की हिस्सेदारी 74 फीसदी है, जबकि एसपीवी में एमएमबी की हिस्सेदारी 26 फीसदी है। 

जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी महाराष्ट्र के नवी मुंबई में स्थित न्हावा शेवा बंदरगाह का संचालन करती है।

ग्रीनफील्ड परियोजनाओं का मतलब है कि क्षेत्र में कोई मौजूदा बंदरगाह नहीं है और नए सिरे से एक नया बंदरगाह बनाया जाएगा।

डीप ड्राफ्ट बंदरगाह का मतलब है कि यह बंदरगाह बड़े मालवाहक जहाजों को संभाल सकता है।

वधावन बंदरगाह की लागत 

वधावन प्रोजेक्ट की कुल लागत 76,220 करोड़ रुपये है जिसमे  भूमि अधिग्रहण, मुख्य बुनियादी ढांचे, टर्मिनलों और अन्य वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे के विकास की लागत शामिल है। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में बनाई जाएगी।

वधावन बंदरगाह की विशेषता 

वधावन बंदरगाह के निर्माण के लिए समुद्र में 1,448 हेक्टेयर भूमि को पुनः प्राप्त किया जाएगा। इसके साथ -साथ 10.14 किमी के अपतटीय ब्रेकवाटर और कंटेनर/कार्गो भंडारण क्षेत्र का भी निर्माण किया जाएगा।

नौ कंटेनर टर्मिनल बनाए जाएंगे और हर कंटेनर टर्मिनल 1000 मीटर लंबे होंगे। इसके अलावा बंदरगाह में चार बहुउद्देश्यीय बर्थ भी होंगे, जिनमें तटीय बर्थ, चार तरल कार्गो बर्थ, एक रो-रो बर्थ और तटरक्षक बल के लिए एक अलग बर्थ शामिल है।

बंदरगाह की संचयी क्षमता 298 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) प्रति वर्ष होगी, जिसमें लगभग 23.2 मिलियन टीईयू (बीस-फुट समकक्ष) कंटेनर हैंडलिंग क्षमता भी शामिल है।

वाधवन बंदरगाह का महत्व 

भारत के पश्चिमी तट पर विकसित किया जा रहा बंदरगाह विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने वाली सभी सुविधाओं से युक्त एक आधुनिक बंदरगाह होगा। यह बंदरगाह प्रस्तावित आईएमईईसी  (भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा) और आईएनएसटीसी (अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा) से जुड़ेगा और इस कारण भारत के विदेशी व्यापार को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। 

इस बंदरगाह को सुदूर पूर्व, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका के बीच अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लाइनों से लाभ उठाने की भी पूरी उम्मीद है। 

सरकार का लक्ष्य वधावन बंदरगाह को दुनिया के शीर्ष 10 प्रमुख बंदरगाहों में से एक बनाना है।

इस परियोजना से 12 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करके स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

बंदरगाह का विरोध  

स्थानीय आबादी, विशेषकर मछुआरे और किसान वधावन बंदरगाह के निर्माण का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

 इसके अलावा, दहानू क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से नाजुक है और पर्यावरणविद् इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे क्षेत्र की संवेदनशील पारिस्थितिकी को नुकसान होगा।

FAQ

उत्तर: वधावन बंदरगाह, महाराष्ट्र के पालघर जिले में वधावन में।

उत्तर: जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण जो नवी मुंबई में न्हावा शेवा बंदरगाह का संचालन करता है।

उत्तर: 76,220 करोड़ रुपये।

उत्तर: पालघर जिला महाराष्ट्र में।
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