उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 सितंबर 2024 को गोरखपुर वन प्रभाग के भारीवैसी, कैंपियरगंज रेंज में जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र का उद्घाटन किया। यह एशियन किंग गिद्ध या लाल सिर वाले गिद्ध प्रजाति के लिए दुनिया का पहला संरक्षण और प्रजनन केंद्र है।
देश में जटायु नामक गिद्धों के अन्य संरक्षण और प्रजनन केंद्र हैं, लेकिन वे गिद्धों की सभी नस्लों का पालन-पोषण करते हैं।
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य वन विभाग को गोरखपुर में वानिकी महाविद्यालय स्थापित करने का भी निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश वन विभाग ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सहयोग से महराजगंज में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना की है।
2.8 करोड़ रुपये में निर्मित ,जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र, गोरखपुर वन प्रभाग के 1.5 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है।
केंद्र में पक्षियों के लिए कई पिंजरे, किशोरों के लिए एक नर्सरी, चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले पक्षियों के लिए एक अस्पताल और पुनर्प्राप्ति सुविधा और एक खाद्य प्रसंस्करण केंद्र है।
100% परिणाम सुनिश्चित करने के लिए अन्य सुविधाओं के अलावा , गिद्ध के अंडों को कृत्रिम रूप से पालने के लिए केंद्र में एक ऊष्मायन केंद्र भी स्थापित किया गया है।
एशियन किंग गिद्ध अपने जीवनकाल में सिर्फ एक साथी बनाते है और मादा एक वर्ष में एक ही अंडा देती है।
मादा द्वारा अंडा देने के बाद जटायु केंद्र ,बंदी पक्षियों को वापस जंगल में छोड़ देगा।
अंडे को ऊष्मायन केंद्र में नियंत्रित वातावरण में तैयार किया जाएगा।
जटायु केंद्र का लक्ष्य अगले 8 से 10 वर्षों में केंद्र से 40 जोड़े गिद्धों को जंगल में छोड़ने का लक्ष्य है।
केंद्र में वर्तमान में छह एशियन किंग गिद्ध प्रजाति - एक नर और पांच मादा हैं ।
एशियन किंग गिद्ध प्रजाति का वैज्ञानिक नाम सरकोजिप्स कैल्वस है। यह पक्षी मुख्यतः उत्तर भारत में पाया जाता है।
इस पक्षी को आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) की गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है।
पक्षी को अपने आवास के नुकसान और मनुष्यों द्वारा जानवरों में गैर-स्टेरायडल सूजनरोधी दवा डाईक्लोफेनाक के अंधाधुंध उपयोग से खतरा है।
ऐसे मृत जानवरों को खाने वाला गिद्ध बीमार पड़ जाता है और सिर/गर्दन झुकने के सिंड्रोम से पीड़ित हो जाता है और संक्रमित गिद्ध अंततः मर जाता है। यह भारत में गिद्धों की आबादी में गिरावट का एक मुख्य कारण है।
इसीलिए जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र में एक खाद्य प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया गया है जिससे गिद्धों को सही मांस मिल सके।