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भारत ने यूएई से कच्चे तेल की खरीद के लिए पहली बार रुपये में भुगतान किया

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
India Makes Its 1st-Ever Rupee Payment For Crude Oil Purchase From UAE International news 4 min read

विश्व के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से खरीदे गए कच्चे तेल के लिए रुपये में अपना पहला भुगतान किया है। वैश्विक स्तर पर भारतीय मुद्रा को बढ़ावा हेतु भारत की ओर से उठाया गया यह एक ऐतिहासिक कदम है।

  • भारत के इस कदम से न सिर्फ तेल आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाने में सहायक होगी बल्कि  लेनदेन लागत में भी कमी की जा सकेगी। साथ ही भारत के इस प्रयास से रुपये को एक व्यवहार्य व्यापार निपटान मुद्रा के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा। 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सहमति:  

  • यह पहल 11 जुलाई, 2022 को आरबीआई के उस फैसले के तहत उठाया गया है, जिसमें आयातकों को रुपये में भुगतान करने और निर्यातकों को स्थानीय मुद्रा में भुगतान प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।

सौदे हेतु पूर्व में किया था समझौता: 

  • भारत ने जुलाई में रुपये में लेनदेन के लिए संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक समझौते को औपचारिक रूप दिया था। जिसके बाद इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) से भारतीय रुपये में 10 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदने के लिए भुगतान किया। इसके अतिरिक्त, रूस से भी आयातित कच्चे तेल का भुगतान रुपये में किया जा रहा है। हाँलाकि आयातित तेल से प्राप्त रुपयों को रूस भारत में ही निवेश करता है।  

भारत का तेल आयात हेतु बहुआयामी रणनीति: 

  • भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। ऐसे में देश ने एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है। 
  • इसमें सबसे अधिक लागत प्रभावी आपूर्तिकर्ताओं से सोर्सिंग, आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने पर जोर दिया गया है। 
  • रूसी तेल आयात के रैंप-अप के दौरान राष्ट्र का दृष्टिकोण लाभप्रद साबित हुआ, जिससे अरबों डॉलर की बचत हुई है।

भारत की ओर से रुपये में भुगतान का मुख्य कारण: 

  • आरबीआई ने पिछले तीन वर्षों में सीमा पार भुगतान में रुपये के उपयोग को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में कई अंतर्राष्ट्रीय बैंकों को रुपये में व्यापार करने की अनुमति दी है। 
  • आरबीआई अब तक 22 देशों के साथ रुपये में व्यापार की सहमति बना चुका है। 
  • ऐसा करने से ना केवल भारतीय मुद्रा का प्रचलन वैश्विक हो सकेगा बल्कि रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने से डॉलर की मांग को कम करने में भी मदद मिल सकेगी। 
  • इससे भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक मुद्रा की गिरावट से कम प्रभावित हो सकेगी। 
  • 1970 के दशक से ही तेल की खरीद का भुगतान डॉलर में करने की परंपरा चली आ रही है। जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका पेट्रो-डॉलर के तहत बढ़ावा देता रहा है। 

भारत का तेल आयात पर निर्भरता: 

  • वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में भारत ने 232.7 मिलियन टन कच्चे तेल के आयात पर 157.5 बिलियन डॉलर खर्च किए। 
  • भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में इराक, सऊदी अरब, रूस और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। जिसमें पश्चिम एशिया का कुल आपूर्ति में 58 प्रतिशत योगदान है। घरेलू आपूर्ति माँग का 15 प्रतिशत से भी कम पूरा करती है।
  • हाँलाकि अब यह समीकरण बदल गया है क्योंकि वर्तमान में रूस से सर्वाधिक मात्रा में तेल आयात करता है।

FAQ

Answer:- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)

Answer:- भारत अपने कुल कच्चे तेल का 15 प्रतिशत भाग घरेलु उत्पादन से पूरा करता है।

Answer:- भारत, वर्तमान में कच्चे तेल के उपयोगकर्ता देशों में तीसरे स्थान पर है।

Answer:- रूस से
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