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जी20 शिखर सम्मेलन निमंत्रण पर 'इंडिया' के बजाय 'भारत' को लेकर विवाद

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Controversy over 'Bharat' Instead of India on G20 invitation card Summit and Conference 10 min read

भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पर आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले 'इंडिया के राष्ट्रपति' के बजाय 'भारत के राष्ट्रपति' के उपयोग के बाद देश में  बहस छिड़ गई है। "भारत" का उपयोग विदेशी प्रतिनिधियों के लिए बनाई गई G20 पुस्तिका में भी किया गया है जिसका शीर्षक है - "भारत, लोकतंत्र की जननी"। 

गौरतलब है कि भारत G20  के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के 18 वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। जो 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित की जाएगी। राष्ट्रपति, राज्य के प्रमुख होने के नाते, भारत सरकार की ओर से सदस्य देशों के राज्य प्रमुखों/सरकार को भारत आने और शिखर सम्मेलन की बैठक में भाग लेने के लिए औपचारिक रूप से निमंत्रण भेजते हैं।

क्या है विवाद?

इंडिया के बजाय "भारत" शब्द के इस्तेमाल का विपक्षी दलों ने आलोचना की है, विदित है कि  हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों ने सामूहिक रूप से I.N.D.I.A (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) ब्लॉक का गठन किया है। 

 विपक्षी दलों का आरोप है कि चूंकि उनके गठबंधन का नाम I.N.D.I.A है, इसलिए सरकार ने जानबूझकर आधिकारिक निमंत्रणों पर भारत शब्द का इस्तेमाल किया है।

इसके अलावा सितंबर 2023 में संसद का विशेष सत्र बुलाने के सरकार के कदम ने भी इन अटकलों को हवा दे दी है कि सरकार देश का नाम बदलकर भारत करने का इरादा रखती है।

संविधान आधिकारिक तौर पर देश का नाम "इंडिया यानि भारत" घोषित करता है।

"भारत" नाम की उत्पत्ति

"भारत," "भारतवर्ष" और "भरत" सबसे प्राचीन ज्ञात नामों में से एक  है, और इसकी जड़ें महाभारत और पौराणिक साहित्यिक ग्रंथों में भी पाई जाती हैं।

  • पुराणों के अनुसार, भारत "दक्षिण में समुद्र और उत्तर में  हिमालय" तक फैला हुआ था।
  • भारतवर्ष के नाम की कहानी का सीधा संबंध ऋषभदेव के पुत्र भरत से है। हिंदू ग्रंथ स्कंद पुराण (अध्याय-37) के अनुसार, ''ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, और ऋषभदेव के पुत्र भरत थे।
  • कई अन्य पुराणों में भी इस बात के साक्ष्य मिलते हैं कि भगवान ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे और  ऋषभदेव के  पुत्र भरत थे, भरत एक चक्रवर्ती सम्राट थे और उनका साम्राज्य सभी दिशाओं में फैला हुआ था और यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात भरत की संतान कहा जाता था और उन्हीं के नाम पर देश का नाम भारतवर्ष अर्थात भरतों का देश पड़ा।
  • भरत को भरत राजवंश का संस्थापक और पांडवों और कौरवों का पूर्वज कहा जाता है। यह वह काल था जब भारत को भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, भरतखंड, आर्यावर्त, हिंदुस्तान, हिंद, अल-हिंद, ग्यागर, फग्युल, तियानझू, होडु इत्यादि जैसे कई नामों से भी पुकारा जाता था।

इंडिया शब्द कैसे आया

हिंद की तरह, इंडिया शब्द की उत्पत्ति "सिंधु" शब्द से हुई है, जो शक्तिशाली सिंधु नदी को संदर्भित करता है, जो कि हिमालय से निकलती है और हिमालय तीन अन्य महान उत्तरी नदी प्रणालियों - सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र का  उद्गमस्थल  है। 

सिंधु, नदी का संस्कृत नाम है और इसका  सर्वप्रथम  उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जो हिंदू धर्म की सबसे प्राचीन पवित्र  ग्रंथों में से एक है, जिसकी रचना 1700-1100 ईसा पूर्व में की गई थी।

फारस का योगदान (आधुनिक ईरान)

  • जैसे-जैसे प्राचीन भारत के बारे में ज्ञान पश्चिम में फैलता गया  और पूरे देश को उस एक नदी के नाम से जाना जाने लगा, फारसियों को सिंधु के "स" का उच्चारण करना मुश्किल हो गया। उन्होंने इसका उच्चारण "ह" किया और इसलिए सिंधु की जगह हिंदू नाम की उत्पत्ति हुई। अब यह नाम न केवल नदी बल्कि सिंधु के उस पार रहने वाली भूमि और उसके लोगों का भी प्रतिनिधित्व करने लगा।
  • ईरान के पर्सेपोलिस, जो डेरियस 1 के फारसी या अचमेनिद साम्राज्य की राजधानी थी, में पाए गए 528 ईसा पूर्व के एक शिलालेख में उनके कई डोमेन में से एक के रूप में "हाय (एन) डु" का उल्लेख है। पहली शताब्दी से इसमें फ़ारसी प्रत्यय 'स्तान' लगा और 'हिन्दुस्तान' नाम बना।

यूनानियों का योगदान

  • "हिन्दू" शब्द लगभग उसी समय, फारस से  ग्रीस तक फैल गया, जहाँ "ह" मौन है। जिससे "इंड" धातु का जन्म हुआ। यूनानियों ने हिंद का लिप्यान्तरण सिंधु के रूप में किया।
  • भारत और इंडिया दोनों   नामों के  साक्ष्य प्राचीन काल से मिलते हैं।
  • इस रूप में  इंडिया लैटिन  भाषा का हिस्सा बन गया। जिसे अब हम बोलचाल की भाषा में उपयोग करते हैं, लैटिन और अंग्रेजी भाषा पर इसके प्रभाव का पता लगाया जा सकता है। पुरानी अंग्रेज़ी में, ऐसा कहा जाता है कि यह किंग अल्फ्रेड के ओरोसियस के अनुवाद में दिखाई दिया था। हालाँकि, फ्रांसीसी भाषा के प्रभाव में, 'इंडिया' का स्थान 'येंडे' या 'इंडे' ने ले लिया।

यूरोपीय लोगों का योगदान

  • प्रारंभिक आधुनिक अंग्रेजी के अंतिम चरण में, 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से 1650 ईस्वी तक, लैटिन, स्पेनिश या पुर्तगाली के बढ़ते प्रभाव के कारण इंडिया नाम फिर से  प्रचलन में आया। किंग जेम्स बाइबिल के पहले संस्करण और प्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपियर के नाटकों में "इंडिया " का उल्लेख मिलता है।
  • 16वीं शताब्दी तक, अधिकांश दक्षिण एशियाई लोग अपनी मातृभूमि को हिंदुस्तान बताते थे। जिसमें 18वीं शताब्दी के मध्य से अंत तक मुगलों के क्षेत्रों का उल्लेख था, जिसमें अधिकांश दक्षिण एशिया का क्षेत्र शामिल था। 
  • लेकिन 18वीं सदी के समाप्त होते-होते ब्रिटिश मानचित्रों में इंडिया शब्द का इस्तेमाल शुरू हो गया और यह निरंतर जारी  रहा।

भारत के संविधान के अनुसार

आजादी के पश्चात, 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान को अपनाया गया। जिसमें देश को "इंडिया जो कि भारत है" के रूप में संदर्भित किया।

  • संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।"
  • संविधान "इंडिया" और "भारत" दोनों को देश के आधिकारिक नामों के रूप में मान्यता देता है।
  • 2020 में, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, “भारत और इंडिया दोनों संविधान में  उल्लिखित नाम हैं। संविधान में 'इंडिया' को पहले से ही 'भारत' कहा गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने देश का नाम इंडिया से भारत बदलने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसने सुझाव दिया कि याचिका को एक प्रतिनिधित्व में परिवर्तित किया जा सकता है और उचित निर्णय के लिए केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है।

"जी-20 शिखर सम्मेलन" के बारे से संबंधित अन्य जानकारी  के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |

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