केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 10 जुलाई 2025 को रांची, झारखंड में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की यह बैठक दो वर्षों के बाद हो रही है। 26वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक 10 दिसंबर 2023 को पटना, बिहार में आयोजित की गई थी।
क्षेत्रीय परिषद एक ऐसा मंच है जहाँ केंद्र और देश के किसी विशेष क्षेत्र के राज्य/केंद्र शासित प्रदेश साझा हितों के मुद्दों पर चर्चा करते हैं और क्षेत्रीय परिषद के सदस्यों के बीच विवादों को सुलझाने का प्रयास करते हैं।
रांची बैठक में लगभग 20 मुद्दों पर चर्चा हुई।
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद में झारखंड, बिहार,ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं।
झारखंड का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया।
ओडिशा का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और उपमुख्यमंत्री पार्वती परिदा ने किया।
बिहार का प्रतिनिधित्व दोनों उपमुख्यमंत्री - विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी ने किया।
पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने किया।
केंद्रीय गृह मंत्री क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष होते हैं और परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हैं।
बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव, अंतर-राज्य परिषद सचिवालय के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित केंद्र और राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों ने भी भाग लिया।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के प्रावधानों के तहत देश में पाँच क्षेत्रीय परिषदें स्थापित की गई हैं।
देश को पाँच क्षेत्रों - पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में विभाजित किया गया था।
बाद में, पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971 के तहत पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक अलग पूर्वोत्तर परिषद की स्थापना की गई।
पाँच क्षेत्रीय परिषदों और उत्तर पूर्व परिषद के सदस्य निम्नलिखित हैं:
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद- झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद- महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, चंडीगढ़, दिल्ली और जम्मू और कश्मीर।
दक्षिणी क्षेत्र- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़
उत्तर पूर्व परिषद
यह एक सलाहकार निकाय है और इसकी सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी नहीं हैं।
वे क्षेत्रीय परिषद सामाजिक नियोजन और अर्थव्यवस्था; सीमा विवाद, अंतर-राज्यीय परिवहन या भाषाई अल्पसंख्यकों; और राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्यों के पुनर्गठन से जुड़े मामलों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करती है।