लेखिका और समाज सेवक सुधा मूर्ति ने हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उपस्थिति में नई दिल्ली में राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी संसद में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां सुधा मूर्ति के पति और इंफोसिस के सह-संस्थापक, एनआर नारायण मूर्ति भी उनके साथ थे।
महिला दिवस 8 मार्च को राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति को राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया।
सुधा मूर्ति के बारे में
- सुधा मूर्ति एक भारतीय लेखिका, समाजसेवी और इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्ष हैं।
- वे इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की पत्नी हैं। सुधा मूर्ति को उनके साहित्यिक योगदान और सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है, और उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई प्रशंसाएँ और पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- उन्हें 2006 में पद्म श्री और 2023 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। वह 31 दिसंबर, 2021 को इंफोसिस फाउंडेशन के अध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुईं थीं।
- सुधा मूर्ति भारतीय विज्ञान संस्थान से इंजीनियरिंग की डिग्री और मास्टर डिग्री प्राप्त की हैं।
- उनके पिता एक सर्जन डॉक्टर थे। वह अपनी सामाजिक सक्रियता के लिए प्रसिद्ध हैं। वह टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) में पहली महिला इंजीनियर के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। सुधा मूर्ति ने इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति का विवाह ऋषि सुनक से हुआ है, जो वर्तमान में ब्रिटेन के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
संविधान के अनुच्छेद 80 में कहा गया है कि राज्यों की परिषद, जिसे राज्यसभा भी कहा जाता है, में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। इनमें से 12 सदस्यों को साहित्य, विज्ञान, कला और सामाज सेवा जैसे क्षेत्रों में उनके विशिष्ट ज्ञान और योगदान अथवा व्यावहारिक अनुभव के आधार पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
राज्यसभा में मनोनीत सदस्य क्यों होते हैं?
संविधान में राज्यसभा में नामांकन का सिद्धांत है। यह देश के सबसे प्रतिष्ठित लोगों, जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में विशेष ख्याति अर्जित की है, को राष्ट्र की सेवा करने का अवसर और अपने अनुभवों का उपयोग करने की अनुमति देता है।
इनमें से ऐसे विशिष्ट लोग जो चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहते परंतु फिर भी राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहते हैं और पूर्व में भी राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है उनको राज्यसभा में मनोनीत किया जाता है।
यह सदस्यता उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान साझा करने और सकारात्मक बहस को समृद्ध करने में सक्षम बनाती है।
राज्य सभा के प्रथम मनोनीत सदस्य
सर्वप्रथम राज्यसभा में 12 विशेष व्यक्तियों को नामांकित किया गया था जो कि अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ थे।
उनमें से-
- शिक्षक और विद्वान डॉ. ज़ाकिर हुसैन
- डॉ. कालिदास नाग और डॉ. राधा कुमुद मुखर्जी, दोनों प्रसिद्ध इतिहासकार
- श्री मैथिलीशरण गुप्त, एक राष्ट्रीय कवि
- प्रसिद्ध लेखक और गांधीजी के अनुयायी काकासाहेब कालेलकर
- प्रोफेसर सत्येन्द्रनाथ बोस, एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक
- श्री एन.आर. मलकानी, एक सामाजिक कार्यकर्ता
- श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल, एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना
- डॉ. जे.एम. कुमारप्पा, एक गांधीवादी विद्वान और शिक्षक
- डॉ. अल्लादी कृष्णास्वामी, एक कानूनी विशेषज्ञ
- श्री पृथ्वीराज कपूर, एक प्रसिद्ध मंच अभिनेता और फिल्म स्टार
- मेजर-जनरल एस.एस. सोखे, एक प्रतिष्ठित चिकित्सा वैज्ञानिक