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इसरो ने पीएसएलवी सी- 61 की विफलता की जांच के लिए समिति गठित की

Utkarsh Classes Last Updated 19-05-2025
ISRO set up a committee to investigate the PSLV C-61 Failure Space 4 min read

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी सी-61 रॉकेट की विफलता के कारणों की पहचान करने के लिए एक समिति गठित की है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने 18 मई 2025 को बेंगलुरु में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पीएसएलवीसी-61 रॉकेट की विफलता के बावजूद इसरो 2025 में हर महीने कम से कम एक मिशन लॉन्च करना जारी रखेगा। 

यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की तीसरी विफलता थी। पीएसएलवी की पहली विफलता 20 सितंबर 1993 को हुई थी, जब एक विकासात्मक रॉकेट, पीएसएलवी-डी 1 विफल हो गया था। दूसरी विफलता 31 अगस्त 2017 को हुई थी जब पीएसएलवीसी-39 मिशन विफल हो गया था।

पीएसएलवी सी-61 और उसका उपग्रह ईओएस-09

पीएसएलवी सी-51 रॉकेट को 18 मई 2025 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से प्रक्षेपित किया गया था।

श्रीहरिकोटा से यह इसरो का 101वां प्रक्षेपण था। पहला रॉकेट 1971 में श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था।

यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की 63वीं उड़ान और पीएसएलवी-एक्सएल विन्यास ( जिसे भारी पेलोड ले जाने के लिए उपयोग किया जाता है) का 27वां उड़ान था।

इस  रॉकेट में  एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह या सुदूर संवेदन उपग्रह, ईओएस-09 था जिसे सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में रखा जाना था। 1696.24 किलोग्राम वजनी ईओएस-9 उपग्रह एक रडार इमेजिंग उपग्रह था, जिसमें कृषि, उद्योग, शहरी नियोजन आदि में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए पृथ्वी की छवियों को कैप्चर करने की सभी मौसम क्षमता थी।

इसरो के अनुसार, पीएसएलवी रॉकेट के पहले दो चरणों ने पूरी तरह से काम किया लेकिन तीसरे चरण में एक त्रुटि के कारण रॉकेट विफल हो गया और इसका मिशन विफल हो गया।

पीएसएलवी रॉकेट के बारे में

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), इसरो के तीन मुख्य उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट में से एक है, अन्य हैं : जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) और एलवीएम3 (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III) हैं।

इसरो लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) और मानव-रेटेड प्रक्षेपण यान (एचआरएलवी) भी विकसित कर रहा है।

पीएसएलवी को इसरो का सबसे बहुमुखी प्रक्षेपण यान माना जाता है और इसे इसका सबसे अधिक उपयोगी प्रक्षेपण यान भी कहा जाता है।

पीएसएलवी रॉकेट के चार मुख्य प्रकार हैं। 

उपग्रह  और उनके वजन के आधार पर, इसरो पीएसएलवी के चार मुख्य प्रकारों में से एक को चुनता है।

पीएसएलवी रॉकेट पृथ्वी अवलोकन, भूस्थिर और नेविगेशन उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकने में सक्षम  हैं।

पीएसएलवी सी-61

पीएसएलवी सी-61 रॉकेट पीएसएलवी का एक्सएल संस्करण था। 

यह चार चरणों वाला रॉकेट था, जिसमें पहले चरण में छह स्ट्रैप-ऑन मोटर और 134 टन का ठोस प्रणोदन प्रणाली थी। दूसरे चरण में 40 टन का तरल प्रणोदन प्रणाली, तीसरे में 8 टन का ठोस प्रणोदन प्रणाली और चौथे में तरल प्रणोदन प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बारे में

स्थापना--15 अगस्त 1969

यह भारत का प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है।

मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक

अध्यक्ष: वी नारायणन

महत्वपूर्ण फुल फॉर्म

  • पीएसएलवी /PSLV - पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल ( Polar Satellite Launch Vehicle)
  • जीएसएलवी/GSLV- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) 
  • एलवीएम3/LVM3- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III) 
  • एसएसएलवी /SSLV - स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल ( Small Satellite Launch Vehicle)
  • एचआरएलवी /HRLV-  ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हीकल ( Human-Rated Launch Vehicle).

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FAQ

उत्तर: पीएसएलवी सी-61

उत्तर: बेंगलुरु, कर्नाटक

उत्तर: तीन बार 20 सितंबर 1993 (पीएसएलवी-डी1), 31 अगस्त 2017 (पीएसएलवीसी-39) और 18 मई 2025 को जब पीएसएलवीसी-61 मिशन विफल हुआ।

उत्तर: पृथ्वी अवलोकन या रिमोट सेंसिंग उपग्रह।

उत्तर: पोलर - पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी)
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