भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के वरिष्ठ वैज्ञानिक वी. नारायणन को इसरो का 11वां अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) का सचिव नियुक्त किया है। वह वर्तमान अध्यक्ष एस. सोमनाथ का स्थान लेंगे और 14 जनवरी 2025 को अपना पदभार ग्रहण करेंगे।
7 जनवरी 2025 को नई दिल्ली में हुई बैठक में कैबिनेट की शीर्ष नियुक्ति समिति ने वी. नारायणन के नाम को मंजूरी दी। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की और इसमें केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भाग लिया।
वी. नारायणन को 14 जनवरी 2025 से दो वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किया गया है।
वी नारायणन एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं और रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन के विशेषज्ञ हैं। वे 1984 में इसरो में शामिल हुए और बाद में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बने।
वलियमाला/तिरुवनंतपुरम स्थित एलपीएससी इसरो का प्रमुख अनुसंधान और विकास केंद्र है। यह इसरो द्वारा पृथ्वी से प्रक्षेपित रॉकेटों के लिए प्रणोदन प्रणाली और अंतरिक्ष यान के लिए अंतरिक्ष में प्रणोदन प्रणाली विकसित करने के लिए जिम्मेदार है।
वी नारायणन इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के साउंडिंग रॉकेट और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (एएसएलवी) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) परियोजनाओं से जुड़े हुए थे।
इसरो की स्थापना भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 1969 को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में की गई थी।
1972 में भारत सरकार ने दो संस्थानों की स्थापना की, अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग (डीओएस)।
अंतरिक्ष आयोग सर्वोच्च अंतरिक्ष निकाय है जो देश के सामाजिक-आर्थिक लाभ के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को बनाने और उनकी देखरेख करने के लिए जिम्मेदार है।
अंतरिक्ष विभाग अंतरिक्ष आयोग द्वारा बनाई गई नीतियों को पांच संस्थानों के माध्यम से क्रियान्वित करता है; भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो); भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल); राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल); उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एनई-सैक), और सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल)।
इसरो के अध्यक्ष अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी होते हैं।
इसरो का मुख्यालय और अंतरिक्ष विभाग का सचिवालय बेंगलुरु में एक ही स्थान पर स्थित हैं।
इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी।
यह श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से अपना रॉकेट प्रक्षेपित करता है
मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
डॉ. विक्रम साराभाई इसरो के संस्थापक और पहले अध्यक्ष थे। डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी माना जाता है।
प्रोफेसर सतीश धवन इसरो के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले अध्यक्ष हैं।
सबसे कम कार्यकाल ,प्रो. एम. जी. के. मेनन का है जो 9 माह का था।
क्रमांक |
इसरो अध्यक्ष |
कार्यकाल |
कार्यकाल की अवधि |
1 |
डॉ. विक्रम साराभाई |
1963-1971 |
8 साल |
2 |
प्रो. एम. जी. के. मेनन |
जनवरी-सितंबर 1972 |
9 माह |
3 |
प्रो.सतीश धवन |
1973 -1984 |
12 वर्ष |
4 |
प्रो. यू. आर. राव |
1984-1994 |
10 वर्ष |
5 |
डॉ. के कस्तूरीरंगन |
1994-अगस्त 2003 |
9 साल |
6 |
जी. माधवन नायर |
सितंबर 2003-अक्टूबर 2009 |
6 साल, 58 दिन |
7 |
डॉ. के. राधाकृष्णन |
अक्टूबर 2009- दिसंबर 2014 |
5 साल, 62 दिन |
- |
डॉ शैलेश नायक (अंतरिम प्रमुख) |
1 जनवरी -12 जनवरी 2015 |
11 दिन |
8 |
ए.एस. किरण कुमार |
जनवरी 2015-जनवरी 2018 |
3 वर्ष |
9 |
डॉ. के. सिवान |
जनवरी 2018-जनवरी 2022 |
4 साल |
10 |
डॉ.एस सोमनाथ |
15 जनवरी 2022- 14 जनवरी 2025 |
3 साल |
11 |
वी नारायणन |
14 जनवरी 2025- |
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