हर साल 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन 4000 से अधिक शांति सैनिकों की सेवा और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने दुनिया के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति लाने की कोशिश करते हुए अपनी प्राणों की आहुती दी है । यह दिन वैश्विक समुदाय से शांति के वैश्विक आंदोलन में शामिल होने और इसे मजबूत करने का भी आग्रह करता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने के लिए दिसंबर 2002 में एक प्रस्ताव पारित किया था ।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 29 मई के दिन को इसलिए चुना क्योंकि इसी दिन 1948 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पश्चिम एशिया में पहले संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान को अधिकृत करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था।
सुरक्षा परिषद ने नव निर्मित देश इज़राइल और उसके अरब पड़ोसियों,जो इज़राइल के गठन का विरोध कर रहे थे ,के बीच युद्धविराम समझौते की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र ट्रूस पर्यवेक्षण संगठन (यूएनटीएसओ) बनाया था।
पहला संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस 29 मई 2003 को मनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र हर साल संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस की थीम/विषय की घोषणा करता है।
इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय है : भविष्य के लिए उपयुक्त, साथ मिलकर बेहतर निर्माण करना।''
संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य विश्व में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा कायम करना है। संयुक्त राष्ट्र शांति बनाए रखने के लिए दुनिया के संघर्ष क्षेत्रों में अपने कर्मियों को भेजता है जिन्हें संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक या ब्लू हेलमेट के रूप में भी जाना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के सैनिक विशिष्ट नीले रंग के हेलमेट पहनते हैं इसलिए वे ब्लू हेलमेट के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। संयुक्त राष्ट्र कर्मी निहत्थे पर्यवेक्षक हो सकते हैं या सशस्त्र सैन्य कर्मी भी हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघर्ष में किसी का पक्ष नहीं लेता लेकिन वह शांति बनाए रखने के लिए एक तटस्थ शक्ति के रूप में वहां जाता है।
केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास ही शांति स्थापना अभियानों को अधिकृत करने की शक्ति है।
संयुक्त राष्ट्र के पास अपनी कोई सेना या पुलिस बल नहीं है। संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियान के लिए कर्मचारी संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों से आते हैं। सदस्य देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में योगदान देना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह स्वैच्छिक है।
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में भारत दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
संयुक्त राष्ट्र ने 1948 से अब तक 70 से अधिक शांतिरक्षा अभियान चलाए हैं। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान सहित दुनिया के 11 क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियान चल रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जम्मू और कश्मीर राज्य में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान को अधिकृत किया, जो भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का स्थल था। भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) जम्मू और कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की निगरानी के लिए 24 जनवरी 1949 को जम्मू और कश्मीर पहुंचा।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद यूएनएमओजीआईपी का काम दोनों देशों के बीच 17 दिसंबर 1971 के हुए युद्धविराम का पालन करवाना और यह सीधे संयुक्त राष्ट्र महासचिव को रिपोर्ट करना है।
यूएनएमओजीआईपी दल में सिर्फ विशेषज्ञ और नागरिक शामिल हैं और यहां गैर-सशस्त्र सैन्य बल तैनात नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के उनके प्रशंसनीय कार्य के लिए 1988 का नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।