चीन, स्विट्जरलैंड और जापान के बाद भारत, 700 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार वाला, दुनिया का चौथा देश बन गया है। मूल्यांकन लाभ और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बाजार से अमेरिकी डॉलर की लगातार खरीद के कारण पिछले सात हफ्तों से भारतीय विदेशी मुद्रा में वृद्धि हो रही है।
चीन दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा धारक देश है, इसके बाद जापान, स्विट्जरलैंड और भारत हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़े के अनुसार, 27 सितंबर 2024 तक देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 704.89 बिलियन डॉलर था।
साल 2024 में अभी तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 87.6 बिलियन डॉलर बढ़ गया है। पिछले साल भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 62 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी ।
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण भारतीय इक्विटी और बांड बाजार में लगातार हो रहा विदेशी निवेश रहा है। यह निवेश इस साल, करीब 30 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।
जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय सरकारी बॉन्ड को शामिल किए जाने के बाद से भारतीय ऋण बाजार में विदेशी निवेश में निरंतर बढ़ा रहा है।
आरबीआई अधिनियम 1934 के अनुसार, भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), आईएमएफ के साथ एक रिजर्व किश्त स्थिति (आरटीपी) और सोना भंडार शामिल हैं।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ में शामिल हैं
आरबीआई अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा भारत के बाहर -बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के पास रखता है और कुछ हिस्सा भारत के भीतर रखता है।
महत्वपूर्ण फुल फॉर्म
आई एम एफ़(IMF)- इंटरनेशनल मोनेटरी फ़ंड(International Monetary Fund)
एस डी आर(SDR)- स्पेशल ड्राविंग राइट्स (Special Drawing Rights)
आर बीआई(RBI)- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India)
बीआई एस (BIS)- बैंक फॉर इंटरनेशनल सेट्टल्मेंट (Bank for International Settlement)