भारत सरकार ने केंद्रीय सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) एनएचपीसी लिमिटेड और एसजेवीएन लिमिटेड का दर्जा मिनी रत्न श्रेणी-1 से बढ़ाकर नवरत्न कर दिया है। इस आशय की आधिकारिक आदेश सार्वजनिक उद्यम विभाग (वित्त मंत्रालय) द्वारा 30 अगस्त 2024 को जारी किया था। नवरत्न दर्जा मिलने से एनएचपीसी और एसजेवीएन लिमिटेड के प्रबंधन को अधिक परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी।
नवरत्न का दर्जा प्राप्त सीपीएसई को मिलने वाले कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
एक सीपीएसई को नवरत्न का दर्जा पाने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होता है:
अगस्त 2024 तक, 23 नवरत्न सीपीएसई थे। नवरत्न सीपीएसई की सूची इस प्रकार है।
एनएचपीसी लिमिटेड की स्थापना 1956 के कंपनी अधिनियम के तहत 1975 में नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के रूप में की गई थी।
बाद में 28 मार्च 2008 को इसका नाम बदलकर एनएचपीसी लिमिटेड कर दिया गया।
यह कंपनी केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आती है।
यह मुख्य रूप से जल विद्युत, पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के व्यवसाय में है।
एनएचपीसी की कुल स्थापित क्षमता 7144.20 मेगावाट है, और इसका लक्ष्य 2032 तक 23000 मेगावाट और 2047 तक 50000 मेगावाट तक बढ़ाना है।
मुख्यालय: फ़रीदाबाद, हरियाणा
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक: राज कुमार चौधरी
एसजेवीएन, 1988 में भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
कंपनी को सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में, 2009 में, इसका नाम बदलकर एसजेवीएन कर दिया गया।
कंपनी पनबिजली, पवन, सौर और बिजली पारेषण लाइनों के कारोबार में है। कंपनी की वर्तमान स्थापित क्षमता 2467 मेगावाट है और कंपनी 123 किमी बिजली ट्रांसमिशन लाइन भी संचालित करती है।
कंपनी वर्तमान में भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, असम, ओडिशा, मिजोरम और मध्य प्रदेश के साथ-साथ नेपाल में बिजली परियोजनाओं का कार्यान्वयन या संचालन कर रही है।
मुख्यालय: शिमला, हिमाचल प्रदेश
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक: सुशील शर्मा
महत्वपूर्ण फुल फॉर्म
सीपीएसई /CPSE: सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज (Central Public Sector Enterprises)