पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, मिजोरम और गोवा के बाद पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता हासिल करने वाला भारत का तीसरा राज्य बन गया है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने राज्य की राजधानी अगरतला में आयोजित एक समारोह में यह घोषणा की। यह समारोह फाउंडेशनल और न्यूमेरेसी असेसमेंट परीक्षा में विभिन्न जिलों के सर्वोच्च अंक लाने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था।
सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन का पुरस्कार उत्तरी त्रिपुरा जिले को दिया गया। सिपाहीजाला जिले ने जिलों में पहला स्थान हासिल किया, जबकि पश्चिमी त्रिपुरा और उनाकोटी जिलों ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।
कालानुक्रमिक क्रम में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा यह उपलब्धि हासिल करने वाला देश का चौथा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश है।
पूर्ण साक्षरता और कार्यात्मक साक्षरता
सरकार द्वारा 1988 में शुरू किए गए राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार कोई भी राज्य/संघ शासित प्रदेश (यूटी)को तभी पूर्ण साक्षर माना जाएगा अगर उनकी 90% से अधिक आबादी किसी भी भारतीय भाषा में पढ़, लिख सकती है और बुनियादी अंकगणित कर सकती है।
1991 में इस परिभाषा के तहत, केरल देश का पहला पूर्ण साक्षरता हासिल करने वाला पहला राज्य/यूटी बन गया था। 1991 की जनगणना के अनुसार केरल की साक्षरता 90.90 दर्ज की गई थी।
कार्यात्मक साक्षरता
- देश में कार्यात्मक साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने 2022 में एक नई योजना - उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम या न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (एनआईएलपी) शुरू की।
- इस कार्यक्रम के तहत, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को पूरी तरह कार्यात्मक साक्षर राज्य घोषित करने के लिए एक अलग परिभाषा अपनाई गई।
- उल्लास परिभाषा के तहत, एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पूरी तरह कार्यात्मक रूप से साक्षर तभी माना जाता है यदि उसकी 94% आबादी कार्यात्मक रूप से साक्षर है।
यह कैसे तय होता है?
- उल्लास साक्षरता योजना में पाँच घटक शामिल हैं: महत्वपूर्ण जीवन कौशल, बुनियादी शिक्षा, व्यावसायिक कौशल, सतत शिक्षा, आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता।
- व्यक्ति को आधारभूत और संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा देनी होती है अगर वह इस परीक्षा में सफल होता है, तो उस व्यक्ति को कार्यात्मक रूप से साक्षर माना जाता है।
- इन मानदंडों के आधार पर, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख देश का पहला राज्य /यूटी बन गया जो पूर्ण रूप से कार्यात्मक साक्षर हो गया। इसके बाद मिओरम, गोवा और अब त्रिपुरा हैं।
उल्लास या एनआईएलपी के बारे में
यह 1037.90 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली केंद्र सरकार की योजना है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 337.90 करोड़ रुपये है।
अवधि - 2022-2057
विशेषता
- राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार को कार्यात्मक साक्षरता के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित करने की स्वतंत्रता है।
- 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्क जो औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए हैं, उन्हें लक्षित किया जाता है।
- कार्यक्रम को सामुदायिक और स्वैच्छिक भागीदारी के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
- राज्य सरकार अपने लक्ष्य स्वयं निर्धारित करती है।
कार्यात्मक साक्षरता क्या है?
कार्यात्मक साक्षरता बुनियादी साक्षरता से कहीं अधिक व्यापक शब्द है।
बुनियादी साक्षरता- किसी व्यक्ति की पढ़ने, लिखने और सरल अंकगणित करने की क्षमता (3R)।
कोई व्यक्ति कार्यात्मक रूप से साक्षर है यदि:
- वह पढ़ सकता है, लिख सकता है और सरल अंकगणित कर सकता है,
- अपने सामाजिक और आर्थिक अभाव के कारणों से अवगत है,
- विकास की प्रक्रिया में भाग लेकर अपनी स्थिति में सुधार करने की क्षमता रखता है,
- अपनी आर्थिक स्थिति और सामान्य कल्याण को बेहतर बनाने के लिए कौशल हासिल करता है, और
- उसने राष्ट्रीय एकीकरण, महिलाओं की समानता, पर्यावरण संरक्षण और छोटे परिवार के मानदंडों के पालन जैसे मूल्यों को आत्मसात किया है।