राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने घोषणा की है कि राज्य सरकार 100 करोड़ रुपये के निवेश से महाराणा प्रताप पर्यटक सर्किट विकसित करेगी। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा 8 जून 2023 को उदयपुर में महाराणा प्रताप जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए की। मेवाड़ के महाराणा प्रताप का 484वां जन्मदिन 9 जून 2024 (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) मनाया गया।
भजन लाल शर्मा की सरकार ने अपने पहले बजट में महाराणा प्रताप पर्यटक सर्किट के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
महाराणा प्रताप पर्यटक सर्किट के तहत मेवाड़ के महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े स्थानों का विकास किया जायेगा। परियोजना के हिस्से के रूप में उदयपुर, चावंड, हल्दीघाटी, गोगुंदा, कुंभलगढ़, देवार, छापली और चित्तौड़गढ़ जैसे स्थानों को विकसित किया जाएगा।
परियोजना के तहत राजस्थान पर्यटन विकास निगम संग्रहालयों, पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाओं का विकास करेगा और इन स्थानों पर समग्र कनेक्टिविटी में सुधार करेगा।
मेवाड़ कॉम्प्लेक्स सर्किट नामक परियोजना 2005 में राजस्थान सरकार द्वारा केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से शुरू किया गया था ताकि इस क्षेत्र को एक पर्यटन और सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके।
परियोजना के दो चरण पूरे हो चुके हैं। तीसरे चरण में परियोजना का नाम बदलकर महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट कर दिया गया है।
परियोजनाओं का उद्देश्य क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है।
महाराणा प्रताप का जन्म
महाराणा प्रताप का जन्म राणा प्रताप सिंह के रूप में राजस्थान के कुम्भलगढ़ में मेवाड़ के राजा महाराणा उदय सिंह द्वितीय और माता जयवंता बाई के घर हुआ था।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 9 मई 1540 को हुआ था, लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म ज्येष्ठ महीने के तीसरे चंद्र दिवस पर हुआ था। इस प्रकार हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष उनका जन्मदिन 9 जून 2024 को पड़ता है। राजस्थान सरकार ने महाराणा प्रताप की जयंती मनाने में हिंदू कैलेंडर का पालन किया किया है ।
महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह उदयपुर शहर के संस्थापक थे।
उसका कुल और राज्याभिषेक
महाराणा प्रताप मेवाड़ राजपूतों के सिसौदिया वंश से थे।
उदय सिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद 28 फरवरी 1572 को गोगुंदा में उन्हें मेवाड़ के 13वें राजा के रूप में ताज पहनाया गया था । चित्तौड़ मेवाड़ की राजधानी थी।
हल्दीघाटी का युद्ध और मृत्यु
महाराणा प्रताप उन कुछ राजपूत राजाओं में से एक थे जिन्होंने मुगलों के सामने आत्मसमर्पण करने या गठबंधन करने से इनकार कर दिया था।
हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप औरआमेर के राजा मान सिंह, जो मुगल सम्राट अकबर की मुगल सेना की कमान संभाल रहे थे, के बीच लड़ा गया था। वह बहादुरी से लड़े लेकिन युद्ध में हार गए।
1579 में उसने कुंभलगढ़, उदयपुर और गोगुंदा सहित पश्चिमी मेवाड़ क्षेत्र को वापस जीत लिया, लेकिन वह कभी भी चित्तौड़ पर दोबारा कब्ज़ा नहीं कर पाये।
उन्होंने आधुनिक डूंगरपुर के निकट चावंड नामक नई राजधानी का निर्माण किया।
19 जनवरी, 1597 को चावंड में उनकी मृत्यु हो गई। उनके बेटे अमर सिंह उनके उत्तराधिकारी बने और 1614 में उन्होंने अकबर के बेटे मुगल सम्राट जहांगीर के सामने समर्पण कर दिया।