प्रसिद्ध कथाकार और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित मालती जोशी का 90 वर्ष की आयु में 15 मई 2024 को नई दिल्ली में उनके आवास पर निधन हो गया। वह अन्नप्रणाली के कैंसर से पीड़ित थीं। मालती जोशी हिंदी और मराठी भाषा में अपने काम के लिए जानी जाती थीं। उन्हें 2018 में पदम श्री से सम्मानित किया गया था।
मालती जोशी का जन्म 4 जून 1934 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुआ था। मालती जोशी का पालन-पोषण इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शहर के मालव कन्या विद्यालय से की। उन्होंने इंदौर के डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के होल्कर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1956 में हिंदी साहित्य में उसी विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री भी प्राप्त की।
वह एक विपुल लेखिका थीं जिन्होंने हिंदी और मराठी में अपनी कृति लिखी थीं, हालाँकि, वह अपने हिंदी साहित्य कार्यों के लिए ज्यादा जानी जाती हैं।
अपने लेखन के शुरुआती दौर में मालती जोशी कविताएँ भी लिखती थीं और कॉलेज में वह मालवा की मीरा के नाम से मशहूर थीं।
मालती जोशी के प्रमुख कहानी संग्रहों में पाषाण युग, मध्यांतर, समर्पण का सुख, मन न हुए दस बीस, मालती जोशी की कहानियाँ, एक घर हो सपनों का, विश्वास गाथा, आखिरी शर्त, मोरी रंग दे चुनरिया, एक सार्थक दिन आदि शामिल हैं। दादी की घड़ी, जीने की राह, परीक्षा और पुरस्कार, स्नेह के स्वर, सच्चा सिंगार आदि बच्चों के कहानी संग्रह भी उन्होने लिखे हैं।
उन्होंने उपन्यास और आत्मकथाएँ भी लिखी हैं। उपन्यासों में पटाक्षेप, सहचारिणी, शोभा यात्रा, राग विराग आदि प्रमुख हैं। साथ ही उन्होंने एक गीत संग्रह मेरा छोटा सा अपनापन भी लिखा।
उन्होंने ‘इस प्यार को क्या नाम दूं? नाम से एक संस्मरणात्मक आत्मकथ्य भी लिखा।
मालती जोशी के काम का मराठी, उर्दू, बंगाली, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, मलयालम और कन्नड़ जैसी अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उनके काम को रूसी, जापानी और अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।
मालती जोशी की कई कहानियाँ टेलीविजन के लिए रूपांतरित की गईं, जिन्हें दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किया गया। दूरदर्शन पर प्रसारित और जया बच्चन द्वारा निर्मित सात फेरे धारावाहिक मालती जोशी की कहानी पर आधारित थी । उनकी कहानी गुलज़ार द्वारा निर्मित टेलीविजन धारावाहिक 'किरादर' में भी दिखाई गई।