ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) 13वीं महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) बन गई है। 3 अगस्त 2023 को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में ओआईएल को नवरत्न से महारत्न का दर्जा दिया गया ।
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत ओआईएल, ओएनजीसी के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी तेल अन्वेषण और उत्पादन कंपनी है।
यह केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत एक ऑयल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना 18 फरवरी 1959 को भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में नहरकटिया और मोरन के नए खोजे गए तेल क्षेत्रों के विस्तार और विकास के लिए की गई थी।
1961 में ओआईएल ,भारत सरकार और बर्मा ऑयल कंपनी लिमिटेड, यूके की एक संयुक्त उद्यम कंपनी बन गई।
1981 में, ऑयल इंडिया लिमिटेड, भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व वाला उद्यम बन गया।
अखिल भारतीय उपस्थिति के अलावा, ऑयल इंडिया लिमिटेड के पास विदेशों में आठ देशों जैसे रूस, अमेरिका, वेनेजुएला, मोज़ाम्बिक, नाइजीरिया, गैबॉन, बांग्लादेश और लीबिया में ब्लॉक में भागीदारी है।
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक: डॉ रंजीत रथ
महारत्न योजना 2010 में भारत सरकार द्वारा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के लिए शुरू की गई थी, ताकि बड़ी सीपीएसई को अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गजों के रूप में उभरने के लिए सशक्त बनाया जा सके।
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) वे कंपनियाँ हैं जिनका स्वामित्व भारत सरकार के पास है।
निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करने वाले सीपीएसई को महारत्न का दर्जा देने के लिए विचार किए जाने के पात्र हैं।
उसे नवरत्न का दर्जा प्राप्त हों;
सेबी के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हों;
पिछले 3 वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार हों;
पिछले 3 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की औसत वार्षिक निवल संपत्ति हों;
पिछले 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर के बाद एक औसत वार्षिक शुद्ध लाभ हों;
महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय संचालन होना चाहिए।
सीपीएसई को 'महारत्न' का दर्जा दिए जाने से कंपनी के बोर्ड को वित्तीय निर्णय लेने के दौरान बढ़ी हुई शक्तियां हासिल होती हैं ।
एक ‘महारत्न’ केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का बोर्ड वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को शुरू करने के लिए इक्विटी निवेश कर सकता है और भारत एवं विदेशों में विलय तथा अधिग्रहण कर सकता है।
इस विलय तथा अधिग्रहण की सीमा संबंधित सीपीएसई की शुद्ध संपत्ति (नेट वर्थ) के 15 प्रतिशत हिस्से और एक परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये तक सीमित होती है।
बोर्ड कार्मिक एवं मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन भी कर सकता है।
‘महारत्न’ के इस दर्जे के साथ, सीपीएसई, प्रौद्योगिकी आधारित संयुक्त उद्यम या अन्य रणनीतिक गठजोड़ में भी कदम रख सकता है।
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
कोल इंडिया लिमिटेड
गेल (इंडिया) लिमिटेड
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड
एनटीपीसी लिमिटेड
तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन
पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड
ऑयल इंडिया लिमिटेड
सीपीएसई : सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज